जलस्नेही-वसास्नेही संतुलन

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हाइड्रोफिलिक-लिपोफिलिक बैलेंस (HLB)

किसी पृष्‍ठ संक्रियक का हाइड्रोफिलिक-लिपोफिलिक बैलेंस (Hydrophilic–lipophilic balance : HLB) अथवा जलस्नेही–वसास्नेही संतुलन इसकी जलस्नेही या वसास्नेही प्रवृत्ति का मापन है। इसका मापन पृष्ठ संक्रियक पदार्थ में जलस्नेही और वसास्नेही भागों के आण्विक भार की प्रतिशत मात्रा से किया जाता है। यह सर्वप्रथम ग्रिफिन ने सन् 1949 और 1954 वर्णित किया था।[][] [] बाद में इसकी गणना की अन्य विधियाँ भी सुझाई गई जिनमें विशेष रूप से सन् 1957 में डेविस द्वारा सुझावित प्रमुख है।[]

ग्रिफिन की विधि

ग्रिफिन की विधि के अनुसार आयन रहित पृष्‍ठ संक्रियक के लिए इस संतुलन (HLB) को निम्नलिखित रूप में परिभाषित किया जाता है:

HLB=20*Mh/M

जहाँ ​Mh अणु के जलस्नेही हिस्से का आण्विक भार है और M पूरे अणु का आण्विक भार है। इसमें हमें 0 से 20 तक के पैमाने पर परिणाम प्राप्त होता है। HLB का मान शून्य (0) पूरी तरह से वसास्नेही/जलविरोधी अणु का संकेत देता है और इसका मान 20 होना पूरी तरह से जलस्नेही/वसाविरोधी अणु का संकेत देता है।

HLB मान का उपयोग अणु के पृष्ठ संक्रियक गुणों की प्रागुक्ति करने के लिए किया जा सकता है:

  • < 10 (मान 10 से कम होना): वसा-घुलनशील (जल-अघुलनशील)
  • > 10 (मान 10 से अधिक होना): जल-घुलनशील (वसा-अघुलनशील)[]
  • 1 से 3: प्रतिफेनक कारक
  • 3 से 6: (तेल में पानी) पायसीकारक
  • 7 से 9: गीला करने और फैलाने वाला कारक
  • 13 से 16: अपमार्जक
  • 8 से 16: (पानी में तेल) पायसीकारक
  • 16 से 18: सॉल्यूबिलाइजर या हाइड्रोट्रोप[][]

डेविस की विधि

सन् 1957 में डेविस ने एक विधि का सुझाव दिया जो अणु के रासायनिक समूहों के आधार पर एक मान की गणना पर आधारित थी। इस विधि का लाभ यह है कि यह प्रबल और दुर्बल जलस्नेही समूहों के प्रभाव को ध्यान में रखती है। यह विधि निम्नलिखित रूप में काम करती है:

HLB=7+i=1mHin×0.475

जहाँ:

  • m अणु में जलस्नेही समूहों की संख्या
  • Hi - i वें जलस्नेही समूह का मान (तालिका देखें)
  • n - अणु में वसास्नेही समूहों की संख्या
जलस्नेही समूह समूह संख्या
-SO4Na+ 38.7
-COOK+ 21.1
-COONa+ 19.1
N (तृतीयक ऐमीन) 9.4
एस्टर (सॉर्बिटैन रिंग) 6.8
एस्टर (मुक्त) 2.4
-COOH 2.1
हाइड्रॉक्सिल (मुक्त) 1.9
-O- 1.3
हाइड्रॉक्सिल (सॉर्बिटैन रिंग) 0.5
वसास्नेही समूह समूह संख्या
-CH- -0.475
-CH2- -0.475
-CH3- -0.475
=CH- -0.475

इन समूहों के मूल्यों का उपयोग करके पृष्‍ठ संक्रियक के HLB मान की गणना की जा सकती है, जिससे इसके पृष्‍ठ संक्रियक गुणों को बेहतर ढंग से समझा जा सकता है।[]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

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