ब्रह्मगुप्त बहुपद

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ब्रह्मगुप्त बहुपद, ब्रह्मगुप्त मैट्रिक्स से जुड़े बहुपदों की एक श्रेणी है जो ब्रह्मगुप्त की सर्वसमिका से सम्बन्धित है। इसके बारे में सबसे पहले ई० आर० सूर्यनारायण ने 1996 में प्रकाशित एक शोधपत्र जानकरी दी थी। वे किंग्स्टन के रोड आइलैंड विश्वविद्यालय में शोधरत थे।[][][] इन बहुपदों में कई रोचक गुण हैं और इनका उपयोग टाइलिंग समस्याओं के हल में तथा हेरोनियन त्रिकोण को खोजने की समस्या में किया गया है।[][]

ब्रह्मगुप्त बहुपद के अन्तर्गत ये सभी बहुपद समाहित हैं- फिबोनाकी बहुपद, पेल्ल बहुपद, पेल्ल-ल्युकस बहुपद (Pell-Lucas polynomials) तथा मॉर्गन-वॉयस बहुपद (Morgan-Voyce polynomials)।[]

परिभाषा

ब्रह्मगुप्त की सर्वसमिका

साँचा:मुख्य बीजगणित में, ब्रह्मगुप्त सर्वसमिका के यह कहती है कि किसी दिए गए पूर्णांक N के लिए, x2Ny2 के तरह की दो पूर्णांकों का गुणनफल उसी तरह का एक अन्य पूर्णांक होगा। दूसरे शब्दों में,

(x12Ny12)(x22Ny22)=(x1x2+Ny1y2)2N(x1y2+x2y1)2.

इस सर्वसमिका का उपयोग पेल के समीकरण के अनन्त हल खोजने के लिये किया जा सकता है। इसका उपयोग किसी भी पूर्णांक के वर्गमूल के लिए एक परिमेय संख्या उत्पन्न करने के लिये भी किया जा सकता है जिसे क्रमशः अधिक शुद्ध किया जा सकता है।

ब्रह्मगुप्त की मैट्रिक्स

यदि किसी भी यादृच्छ वास्तविक संख्या t के लिये हम निम्नलिखित मैट्रिक्स परिभाषित करते हैं-

B(x,y)=[xytyx]

तो, ब्रह्मगुप्त की सर्वसमिका को निम्नलिखित रूप में अभिव्यक्त किया जा सकता है:

detB(x1,y1)detB(x2,y2)=det(B(x1,y1)B(x2,y2))

इस मैट्रिक्स B(x,y) को ब्रह्मगुप्त की मैट्र्क्स कहते हैं।

ब्रह्मगुप्त के बहुपद

माना B=B(x,y) ऊपर जैसा पारिभाषित मैट्रिक है। हम इन्डक्शन सिद्धन्त का उप्योग करके यह दिख सकते हैं कि मैट्रिक्स Bn को निम्नलिखित रूप में भी लिख सकते हैं।

Bn=[xnyntynxn]

यहाँ, xn तथा yn बहुपद हैं x,y,t के। इन बहुपदों को ब्रह्मगुप्त बहुपद कहते हैं। इनमें से कुछ आरम्भिक बहुपदों को नीचे लिखा गया है-

x1=xy1=yx2=x2+ty2y2=2xyx3=x3+3txy2y3=3x2y+ty3x4=x4+6t2x2y2+t2y4y4=4x3y+4txy3

गुणधर्म

नीचे, ब्रह्मगुप्त बहुपदों के कुछ सरल गुण दिये गये हैं। श्री ई० आर० सूर्यनारायण ने अपने शोधपत्र में इसके उन्नत गुणधर्मों को भी प्रकाशित किया है।[]

Recurrence relations

ब्रह्मगुप्त बहुपद xn और yn निम्नलिखित recurrence relations को सन्तुष्ट करते हैं:

  • xn+1=xxn+tyyn
  • yn+1=xyn+yxn
  • xn+1=2xxn(x2ty2)xn1
  • yn+1=2xyn(x2ty2)yn1
  • x2n=xn2+tyn2
  • y2n=2xnyn

परिशुद्ध व्यंजक (Exact expressions)

x±yt मैट्रिक्स B(x,y) के आइगन मान (eigenvalue) हैं तथा इनके संगत आइगन वेक्टर [1,±t]T है। अतः

B[1,±t]T=(x±yt)[1,±t]T.

अतः

Bn[1,±t]T=(x±yt)n[1,±t]T.

इससे xn and yn के लिये निम्नलिखित ठीक-ठीक (exact) व्यंजक प्राप्त होत है:

  • xn=12[(x+yt)n+(xyt)n]
  • yn=12t[(x+yt)n(xyt)n]

द्विपद प्रमेय का उपयोग क्रके उपर्युक्त ब्यंजक के घातों का प्रसार करने तथा सरल करने के बाद हमें xn और yn के लिये निम्नलिखित व्यंजक प्राप्त होता है-

  • xn=xn+t(n2)xn2y2+t2(n4)xn4y4+
  • yn=nxn1y+t(n3)xn3y3+t2(n5)xn5y5+

विशेष स्थितियाँ

  1. यदि x=y=12 और t=5 तो n>0 के लिये:
2yn=Fn is the Fibonacci sequence 1,1,2,3,5,8,13,21,34,55,.
2xn=Ln is the Lucas sequence 2,1,3,4,7,11,18,29,47,76,123,.
  1. यदि हम x=y=1 और t=2 रख दें तो
xn=1,1,3,7,17,41,99,239,577, जो कि उन सतत भिन्नों के अंश (numerators) हैं जिसके कन्वर्ज होने पर 2 प्राप्त होता है।[] यही अर्ध पेल-ल्युकस संख्याओं का अनुक्रम (sequence) भी है।
yn=0,1,2,5,12,29,70,169,408, जो पेल संख्याओं का अनुक्रम है।

अवकल समीकरण

xn तथा yn निम्नलिखित आंशिक अवकल समीकरण (partial differential equation) के बहुपदीय हल हैं-

(2x21t2y2)U=0

सन्दर्भ

साँचा:टिप्पणीसूची

इन्हें भी देखें

साँचा:भारतीय गणित