फोर्जन

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फोर्जिंग क्रिया का एनीमेशन
फोर्जिंग प्रक्रिया के पहले और बाद में
फोर्जन द्वारा सीधी छड़ के सिरे को वृत्ताकार रूप देना
फोर्जन द्वारा निर्मित कुछ कलात्मक वस्तुएँ

उचित स्थान पर संपीडक दबाव का उपयोग करते हुए धातु की प्‍लास्टिक अवस्‍था को मनचाहा आकृति देने को गढ़त या फोर्जन या फोर्जिंग (forging) कहते हैं। लोहारों द्वारा परम्परागत ढंग से लोहे को गरम करके और पीटकर उसे आवश्यक रूप में बदलने का काम भी एक प्रकार का फोर्जन ही है। लोहार द्वारा हथौड़े से गरम वस्तु को पीटना आजकल "पात फोर्जन" (ड्रॉप फोर्जिंग) कहलाता है, जो कम समय के लिए अधिक दाब उत्पन्न करता है।

धातु को आकृति देना आधुनिक प्रविधि के द्वारा ग्रेन-ढांचे को परिष्‍कृत करता है; इसकी अंतनिर्हित क्षमता का विकास करता है; यांत्रिक-विशेषता को सुधारता है और ढांचागत समानता का उत्‍पादन करता है जो छिपे हुए आंतरिक दोषों से मुक्‍त करता है। फोर्जिंग विभिन्‍न प्रविधियों के द्वारा की जाती है जैसे खुले सांचे की गढ़त (ओपन डाई फोर्जिंग), बंद सांचे की गढ़त (क्‍लोज्‍ड डाई फोर्जिंग) और सटीक गढ़त (प्रीसीजन फोर्जिंग या नीयर नेट आकृति फोर्जिंग) शामिल हैं।

फोर्जिंग की क्रिया सामान्य ताप पर (room temperature), मामूली गर्म अवस्था में (warm) या खूब गर्म करके (hot) की जाती है। फोर्ज करके बनाये गये अवयव (हिस्से) एक किलो से भी छोटे से लेकर सैकड़ों मीट्रिक टन के हो सकते हैं। फोर्ज करके बनाये हुए अवयवों को अन्तिम रूप देने के लिये प्राय: कुछ और प्रक्रियाओं से गुजारना पड़ता है।

फोर्जन के प्रकार

किसी अवयव को फोर्ज करने के प्रायः चार तरीके हैं-

  • (१) इम्प्रेशन डाई फोर्जिंग (impression die forging),
  • (२) सामान्य ताप पर फोर्जिंग (cold forging),
  • (३) खुली डाई फोर्जिंग ( open die forging)
  • (४) सीमलेस रोल्ड रिंग फोर्जिंग (seamless rolled ring forging)

इसी प्रकार, किस ताप पर फोर्जन किया जाता है, उसके अनुसार फोर्जन के तीन प्रकार हैं-

  • (१) सामान्य ताप पर फोरिंग (cold forging),
  • (२) कोष्ण फोर्जन (वार्म फोर्जिंग)
  • (३) तप्त फोर्जन (हॉट फोर्जिंग)

सूत्र

फोर्जन के लिए आवश्यक बल,

Fforja=YfKfA

यदि मुक्त फोर्जन (फ्री फोर्जिंग) हो रही है तो A का मान वह क्षेत्रफल है जिस पर दाब डाला जा रहा है तथा Kf का मान निम्नलिखित सूत्र से दिया जाता है-

Kf=1+0,4μDh

जहाँ  mu पदार्थ और प्रेस के बीच घर्षण गुणांक है, D व्यास है या सम्पर्क की लम्बाई है, और वस्तु की ऊँचाई है।

क्रीप-स्ट्रेस की गणना: Yf=Kεn

जहाँ K पदार्थ के प्रतिरोध का गुणांक है तथा n पदार्थ का कठोरीकरण गुनांक है।

विकृति की गणना:

ε=lnhihf

जहाँ hi आरम्भिक ऊँचाई है और hf अन्तिम ऊँचाई।

इन्हें भी देखें