रदरफोर्ड प्रकीर्णन

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रदरफोर्ड प्रकीर्णन अर्नेस्ट रदरफोर्ड द्वारा 1911 में प्रतिपादित भौतिक परिघटना है[], जिसे बाद में परमाणु का रदरफोर्ड मॉडल (प्रतिमान) नाम से जाना जाने लगा और बाद में बोर मॉडल। रदरफोर्ड प्रकीर्णन को कई बार कुलाम्ब प्रकीर्णन की विशेष अवस्था भी कहा जाता है क्योंकि यह केवल स्थैतिक (कुलाम्ब) बलों पर लागू होता है और कणों के मध्य न्यूनतम दूरी इसके विभव द्वारा निर्धारित होती है। सोने के नाभिक (gold nuclie) व अल्फा कणों के मध्य चिरसम्मत रदरफोर्ड प्रकीर्णन प्रत्यास्थ प्रकीर्णन का एक उदाहरण है क्योंकि इसमें आपतित कण व प्रकीर्णित कण के ऊर्जा व वेग समान होते हैं।

व्युत्पत्ति

अनुप्रस्थ काट अवकलज केन्द्रीय बल के अधीन एक कण की अन्योन्य क्रिया को गति के समीकरणों से व्युत्पन्न किया जा सकता है। व्यापक रूप में गति की समीकरण के अनुसार यदि कोई दो कण किसी केन्द्रीय बल के अधीन अन्योन्य क्रिया करते हैं तो उन्हें द्रव्यमान केंद्र व उन कणों की पारस्परिक गति से अप-युग्मित किया जा सकता है।

बिनट समीकरण के अनुसार

d2udθ2+u=Z1Z2e24πϵ0mv02b2=κ,

जहाँ u=1r, v0 नाभिक से अनन्त दूरी (जहाँ नाभिक के विद्युत क्षेत्र का प्रभाव नगण्य हो) और b संघट्ट प्राचल है।

उपरोक्त समीकरण का व्यापक हल निम्न है

u=u0cos(θθ0)κ,

और सीमा शर्तें निम्न हैं

u0rsinθb(θπ).

माना

θ0=π2+arctanbκ.

तब प्रकीर्णन कोण θ का मान, समीकरण में u0 लिखने पर

Θ=2θ0π=2arctanbκ=2arctanZ1Z2e24πϵ0mv02b.

इसे हल करने पर b का निम्न मान प्राप्त होता है-

b=Z1Z2e24πϵ0mv02cotΘ2.

प्रकीर्णन अनुप्रस्थ काट ज्ञात करने के लिए, इसे निम्न प्रकार से परिभाषित किया जाता है

dσdΩ(Ω)dΩ=number of particles scattered into solid angle dΩ per unit timeincident intensity

सन्दर्भ

साँचा:Reflist

  1. अर्नेस्ट रदरफोर्ड, "The Scattering of α and β rays by Matter and the Structure of the Atom",Philos. Mag., vol 6, pp.21, 1911