कौशी संघनन परीक्षण

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ऑगस्टिन लुइस कौशी

साँचा:Distinguish साँचा:कलन गणित में कौशी संघनन परीक्षण, जिसे ऑगस्टिन लुइस कौशी के नाम से नामकरण किया गया एक अनन्त श्रेणी एक लिए मानक अभिसरण परीक्षण है। धनात्मक ह्रासमान अनुक्रम f(n) के लिए

n=1f(n)

अभिसारी है यदि और केवल यदि

n=02nf(2n)

अभिसारी है। इसके अतिरिक्त, इस अवस्था में

n=1f(n)n=02nf(2n)2n=1f(n).

एक ज्यामितिय दृश्य यह है कि हम प्रत्येक 2n पर समलंबाभ सहित योग को सन्निकटक करते हैं। इसको अन्य रूप में इस प्रकार लिख सकते हैं कि समाकलन और निश्चित योग के मध्य अनुक्रम के लिए, 'संघनन' के व्यंजक चरघातांकी फलन के प्रतिस्थापन के अनुरूप है। यह निम्न उदाहरण से स्पष्ट है

 f(n)=na(logn)b(loglogn)c.

यहाँ श्रेणी a > 1 के लिए अभिसारी है और a < 1 के लिए अपसारी। जब a = 1, संघनन रुपांतर आवश्यक रूप से निम्न श्रेणी देता है

nb(logn)c.

लघुगणक 'वाम विस्थापन'। अतः जब a = 1, तो हमें b > 1 के लिए अभिसरण प्राप्त होता है, b < 1 के लिए अपसरण। जब b = 1 तो c पर निर्भरता होती है।

प्रमाण

माना f(n) वास्तविक संख्याओं का धनात्मक, वर्धमान रहित अनुक्रम है। संकेतन की सरलता के लिए, an = f(n) लिखने पर। हम श्रेणी a1+a2+a3+ का अध्ययन करते हैं। संघनन परीक्षण के लिए श्रेणी के व्यंजकों को लम्बाई 2n के समूहों में लेने पर, एकदिष्‍टता द्वारा प्रत्येक समूह 2na2n से कम होगा। अतः

n=1an=a1+a2+a3a2+a2+a4+a5+a6+a7a4+a4+a4+a4++a2n+a2n+1++a2n+11a2n+a2n++a2n+a1+2a2+4a4++2na2n+=n=02na2n.

हमने यहाँ यह माना है कि अनुक्रम an वर्धमान नहीं है, अतः प्रत्येक nm के लिए anam। अतः मूल श्रेणी का अभिसरण इस "संघनन" श्रेणी के सीधे तुलना के अनुसार चलता है। यह देखने के लिए कि मूल श्रेणी अभिसारी है जिसके परिणामस्वरूप पिछली श्रेणी भी अभिसारी है, अतः निम्न प्रकार मान रखने पर

n=02na2n=a1+a2a1+a1+a2+a4+a4+a4a2+a2+a3+a3++a2n+a2n+1++a2n+1a2n+a2n+a(2n+1)+a(2n+1)++a(2n+11)+a1+a1+a2+a2+a3+a3++an+an+=2n=1an.

और हमें पुनः सीधे तुलना से अभिसरण प्राप्त होता है। और यह हमने सिद्ध कर दिया है। ध्यान रहे हमने निम्न प्रकार मान प्राप्त किये हैं

n=1ann=02na2n2n=1an.

यह प्रमाण हरात्मक श्रेणी के अपसरण के ओरेस्मे प्रमाण का व्यापकीकरण है।

व्यापकीकरण

यह व्यापकीकरण सकलोमिल्क के अनुसार है। माना n=0an एक अनन्त वास्तविक श्रेणी है जिसके व्यंजक धनात्मक और वर्धमान रहित हैं, तथा माना u0<u1<u2< आवश्यक रूप से धनात्मक पूर्णांको का वर्धमान अनुक्रम है, इस प्रकार

ΔunΔun1=un+1ununun1

परिबद्ध है, जहाँ Δun अग्र अंतर है। तब श्रेणी n=0an अभिसारी होगी यदि श्रेणी

n=0Δunaun=n=0(un+1un)aun

अभिसारी हो।

un=2n लेने पर, Δun=2n प्राप्त होता है, अतः कौशी संघनन परीक्षण विशेष अवस्था के रूप में प्राप्त होता है।

सन्दर्भ

  • बोनार, खौरी (2006). वास्तविक अनन्त श्रेणी (Real Infinite Series), मैथमेटिकल एसोसिएशन ऑफ़ अमेरिका, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-88385-745-6.

बाहरी कड़ियाँ

साँचा:कौशी नामकरण