दुर्बल हाइपर आवेश

साँचा:फ्लेवर क्वांटम संख्या कण भौतिकी में दुर्बल हाइपर आवेश एक संरक्षित क्वांटम संख्या है जो विद्युत आवेश और दुर्बल समभारिक प्रचक्रण के तृतीय घटक में संबंध स्थापित करता है तथा प्रबल अन्योन्य क्रियाओं के समभारिक प्रचक्रण के लिए गेल-मान-निशिजमा सूत्र (Gell-Mann–Nishijima formula) के समान होता है (जो संरक्षित नहीं रहता)। इसे अक्सर YW द्वारा निरूपित किया जाता है और यह गेज सममिति (gauge symmetry) U(1) के समान होत है।[१]
परिभाषा
यह दुर्बल-विद्युत गेज समूह के U(1) घटक का जनक है, SU(2)xU(1) और इसका सहायक क्वान्टम क्षेत्र B, दुर्बल-विद्युत क्वान्टम क्षेत्र W3 के साथ मिश्रित होते हैं जिससे प्रेक्षित Z0 गेज बोसॉन एवं क्वांटम विद्युतगतिकी का फोटॉन निर्मित कर सकें।
दुर्बल हाइपर आवेश को सामान्यतः YW लिखा जाता है और निम्न प्रकार परिभाषित किया जाता है:
जहाँ Q मूल आवेश की इकाई में विद्युत आवेश है तथा T3 दुर्बल समभारिक प्रचक्रण का तृतीय घटक है। दुर्बल समभारिक प्रचक्रण पुनर्निर्मित करने पर निम्न प्रकार लिखा जा सकता है:
| वामावर्त | विद्युत आवेश |
दुर्बल समभारिक प्रचक्रण |
दुर्बल हाइपर आवेश |
दक्षिणावर्ती | विद्युत आवेश |
दुर्बल समभारिक प्रचक्रण |
दुर्बल हाइपर आवेश | |
|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
| लेप्टॉन | 0 | +½ | -1 | - | - | - | - | |
| -1 | -½ | -1 | -1 | 0 | -2 | |||
| क्वार्क | +2/3 | +½ | +1/3 | +2/3 | 0 | +4/3 | ||
| -1/3 | -½ | +1/3 | -1/3 | 0 | -2/3 |
टिप्पणी: कभी-कभी दुर्बल हाइपर आवेश को इस प्रकार मापक्रमित किया जाता है कि
हालांकि इसका न्यूनतम उपयोग होता है।[२]
बेरिऑन और लेप्टॉन संख्या
दुर्बल हाइपर आवेश बेरिऑन संख्या - लेप्टॉन संख्या से निम्न प्रकार सम्बंधित होता है:
जहाँ X गट-सहायक संरक्षित क्वान्टम संख्या है। चूँकि दुर्बल हाइपर आवेश भी संरक्षित है जिसका तात्पर्य यह है कि मानक मॉडल और इसके प्रमुख विस्तारित मॉडलों में बेरिऑन संख्या और लेप्टॉन संख्या का अन्तर भी संरक्षित रहता है।
न्यूट्रॉन क्षय
- साँचा:उपपरमाण्विक कण → साँचा:उपपरमाण्विक कण + साँचा:उपपरमाण्विक कण + [[इलेक्ट्रॉन न्यूट्रिनो|साँचा:Subatomic particle]]
अतः न्यूट्रॉन क्षय बेरिऑन संख्या B और लेप्टॉन संख्या L को पृथक्तः संरक्षित रखता है, इसलिए इनका अन्तर B-L भी संरक्षित रहता है।
प्रोटॉन क्षय
प्रोटॉन क्षय विभिन्न महा एकीकृत सिद्धांतों द्वारा प्रागुक्त (पूर्वानुमानित) किया जाता है।
- साँचा:उपपरमाण्विक कण → साँचा:उपपरमाण्विक कण + साँचा:उपपरमाण्विक कण → साँचा:उपपरमाण्विक कण + 2साँचा:उपपरमाण्विक कण
अतः प्रोटॉन क्षय में भी B-L संरक्षित रहता है, यद्यपि यहाँ दोनों बेरिऑन संख्या और लेप्टॉन संख्या अलग-अलग संरक्षित नहीं रहते।