एलसी परिपथ

testwiki से
2409:4064:6e30:aa6d:230d:328a:933f:a743 (वार्ता) द्वारा परिवर्तित ०८:०२, ९ नवम्बर २०२३ का अवतरण
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
Lऔर C से बना परिपथ (बैण्डपास फिल्टर)

LC का उपयोग किसी नियत आवृत्ति का वैद्युत संकेत उत्पन्न करने के लिया किया जाता है। इसके अलावा इसे किसी जटिल संकेत में से किसी निश्चित आवृत्ति के संकेत को चुनने (फिल्टर करने) के लिए भी काम में लाया जाता है। इस कारण LC परिपथ बहुत से एलेक्ट्रानिक युक्तियों में प्रयुक्त होते हैं, जैसे रेडियो में कंपित्र (आसिलेटर), फिल्टर, ट्यूनर और आवृत्ति मिश्रक (frequency mixers) के रूप में प्रयोग किया जाता है।

LC परिपथ एक आदर्शीकृत परिपथ है जो इस मान्यता पर बनाया गया है कि इस परिपथ में प्रतिरोध अनुपस्थित या शून्य है और इस कारण ऊर्जा का ह्रास शून्य है। किन्तु किसी भी व्यावहारिक LC परिपथ में कुछ न कुछ ऊर्जा ह्रास अवश्य होगा। यद्यपि कोई भी परिपथ शुद्ध रूप में LC नहीं है फिर भी इस आदर्श परिपथ का अध्ययन समझ विकसित करने के लिए उपयोगी है।

LC अनुनादी परिपथ वह परिपथ है जिसमे आरोपित वोल्टेज की आवृति परिपथ की स्वाभाविक आवृति के बराबर होत RAMANAND kumar

अनुनाद

श्रेणीक्रम में जुड़े हुए RLC

श्रेणीक्रम में जुड़ा RLC परिपथ



Z(jω)= R+jωL+1/(jωC)

ω0= 1/LC

Q= Lω0/R

समान्तर क्रम में जुड़े हुए RLC

समान्तर क्रम में जुड़ा RLC परिपथ

Y(jω)= 1/R+1/(jωL)+jωC

ω0= 1/LC

Q= R/(Lω0)


अनुनाद आवृत्ति

प्रेरकत्व और संधारित के बीच ऊर्जा के स्थानान्तरण का चक्र

LC परिपथ का कम्पन की आवृत्ति L तथा C के मान पर निर्भर करती है। कम्पन की कोणीय आवृत्ति (रेडियन प्रति सेकेण्ड) निम्नलिखित सूत्र से दी जाती है।

ω0=1LC

तथा आवृत्ति हर्ट्ज में,

f0=ω02π=12πLC

अनुनाद की स्थिति में (अर्थात् अनुनाद आवृत्ति पर),

स्पष्ट है कि यदि ऊर्जाह्रास से रहित परिपथ हो (अर्थात् केवल R और L हों) तो

इन्हें भी देखें