अंत्य संशोधन

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साँचा:स्रोतहीन ध्वनिकी के सन्दर्भ में, किसी पाइप से उत्पन्न आवृत्ति का शुद्ध मान प्राप्त करने के लिये उस पाइप की वास्तविक लम्बाई में एक छोटी सी लम्बाई जोड़नी पड़ती है, जिसे अन्त्य संशोधन (end correction) कहते हैं। इसका कारण यह है कि नोड (node), पाइप के खुले सिरे के ठीक ऊपर नहीम बनते बल्कि उससे कुछ दूर (ऊपर) बनते हैं। अन्त्य शोधन को ΔL या e से निरूपित किया जाता है।

अन्त्य संशोधन ΔL का मान निम्नलिखित है-

  • एक सिरे पर बन्द तथा दूसरे सिरे पर खुले पाइप के लिये-
ΔL=0.6r=0.3D,

जहाँ r गर्दन का हाइड्रालिक त्रिज्या है या D गर्दन का हाइड्रालिक व्यास है।

  • दोनों सिरों पर खुले पाइप के लिये_
ΔL=1.2r=0.6D.

वास्तव में अन्त्य शोधन के लिये 0.3r से लेकर 0.6r तक के विभिन्न मान सुझाये गये हैं। लॉर्ड रैले ने सबसे पहले 1871 में अन्त्य शोधन का मान 0.3r दिया था।