विद्युत स्थितिज ऊर्जा

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किसी निकाय में विद्युत आवेशों के विन्यास के कारण एक स्थितिज ऊर्जा होती है जिसे विद्युत स्थितिज ऊर्जा (Elecric Potential energy या Electrostatic Potential

Energy) कहते हैं। 

किसी बिन्दु आवेश में दो कारणों से विद्युत स्थितिज ऊर्जा हो सकती है- अपने स्वयं के आवेशों के कारण तथा अन्य आवेशित वस्तुओं के सापेक्ष इसकी स्थिति के कारण। उदाहरण के लिए दो बिन्दु आवेश एक-दूसरे से r दूरी पर हों (और अन्य कोई आवेश दूर-दूर तक न हों) तो इस निकाय की विद्युत स्थितिज ऊर्जा k.q1.q2/r2 के बराबर होती है।

परिभाषा

बिन्दु आवेशों के किसी निकाय की विद्युत स्थितिज ऊर्जा कार्य की उस मात्रा के बाराबर होती है जो उन आवेशों को अनन्त से लाकर उस रूप में विन्यस्त करने में करना पड़ता है।

UE(𝐫)=Wrrefr=𝐫ref𝐫q𝐄(𝐫)d𝐫,

जहाँ E स्थिरवैद्युत क्षेत्र है तथा dr' विस्थापन सदिश है।