लेक्लांची सेल

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सन् 1919 की लेक्लान्ची सेल की एक व्याख्या

इसमें विद्युत अपघट्य के रूप में अमोनियम क्लोराइड और कार्बन का धनाग्र (कैथोड) एवं जस्ते का ऋणाग्र (एनोड) प्रयुक्त होता था। इसमें विध्रुवकारक (depolarizer) के रूप में मैंगनीज डाईऑक्साइड का प्रयोग किया जाता था। इसी के आधार पर आगे शुष्क सेल का विकास हुआ। इसका सेल विभव १.२५ से १.५ तक होता है ।इसका उपयोग टीवी के रिमोट मे किया जाता है

लेक्लांची सेल का विद्युतरसायन

इस सेल के अनावेशित (डिस्चार्ज) होने की अभिक्रिया निम्नलिखित है-

ऋणाग्र (Anode) पर

 ZnZn2++2e

धनाग्र (Cathode) पर

2MnO2+2H++2e2MnO(OH)

विद्युत-अपघट्य के अन्दर:

Zn2++2NH4++2Cl[Zn(NH3)2]Cl2+2H+

सम्पूर्ण अभिक्रिया:

Zn+2MnO2+2NH4Cl[Zn(NH3)2]Cl2+2MnO(OH)