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- '''ब्रह्मगुप्त सर्वसमिका''' एक बीजीय सर्वसमिका है जो भारतीय गणितज्ञ एवं खगोलविद [[ब्रह्मगुप्त]] द्वारा रचित [[ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त]] में आयी है। इसे निम्न * [[भारतीय गणित]] ...१० KB (५४४ शब्द) - १०:४६, २२ जुलाई २०२४
- ...ni's India (v. 1)|website=www.columbia.edu|access-date=2023-04-08}}</ref>। भारतीय गणितज्ञ और खगोलशास्त्री भास्कराचार्य द्वितीय (c. 1114 - c. 1185) अपने ग्रंथ जर्मन खगोलविद [[योहानेस केप्लर|केप्लर]] ने ग्रहों की गति का अध्ययन करके तीन नियम दिये। ...२९ KB (१,२४३ शब्द) - १९:५३, १२ जनवरी २०२५
- ...ारतीय परम्परा|access-date= [[१२ फरवरी]] [[२००९]]|format= पीएचपी|publisher= भारतीय साहित्य संग्रह|language= |archive-url= https://web.archive.org/web/20071222 उनकी प्रमुख कृति, ''आर्यभटीय'', गणित और खगोल विज्ञान का एक संग्रह है, जिसे भारतीय गणितीय साहित्य में बड़े पैमाने पर उद्धृत किया गया है और जो आधुनिक समय में भ ...७६ KB (१,५२८ शब्द) - १९:०६, १२ फ़रवरी २०२५
- ...में भारतीय गणित और भारतीय खगोल विज्ञान के शास्त्रीय युग से एक महान गणितज्ञ-खगोलविद [[आर्यभट|आर्यभट्ट]] ने पुस्तक [[आर्यभटीय|आर्यभट्टीय]] (अनुभाग 2.6) में इस व ...५४ KB (९४९ शब्द) - १९:०९, ९ अक्टूबर २०२४
- ...तारे''':''' निकट तारों की अत्यंत सूक्ष्म गतियों का अध्ययन करने के पश्चात् खगोलविद यह साबित करने में सफल हुए हैं कि कई ग्रह इन सूर्यों के इर्द गिर्द चक्कर काट ...े हैं कि उनका पता लगाने में कई सदियाँ लग जाती हैं। इसके बजाय, [[ताराभौतिकी|खगोलविद]] इनके जीवनकाल के अलग-अलग बिन्दुओं पर कई तारों के विश्लेषण द्वारा तथा कंप्य ...८९ KB (६४७ शब्द) - १५:२०, १६ सितम्बर २०२४
- == भारतीय ज्यामिति == {{मुख्य|भारतीय गणित}} ...११० KB (१,४१९ शब्द) - ०४:०८, २० सितम्बर २०२४