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- ...उपलब्ध कराया गया। आर्किमिडीज़ के लिखित कार्य की कुछ प्रतिलिपियां जो [[मध्य युग]] तक बनी रहीं, वे [[पुनर्जागरण]] के दौरान वैज्ञानिकों के लिए विचारों का प्र ...ला का प्रयोग|यांत्रिक प्रमेय की विधि]]'' और ''[[Archimedes' cattle problem|केटल समस्या (the Cattle Problem)]]'') का परिचय इरेटोस्थेनेज के संबोधन से दिया ...१२६ KB (३,९११ शब्द) - १७:२१, १४ नवम्बर २०२४
- [[केरलीय गणित सम्प्रदाय|केरल पक्ष]] (केरल स्कूल) का जो योगदान, जो आधुनिक गणित के अत्यन्त निकट है, गणित के क्षेत्र म ...ई. पूर्व) तथा इसके बाद के लगभग 2000 वर्ष पर्यन्त भारतवर्ष की पवित्र भूमि न केवल कला, अपितु विज्ञान के विभिन्न शाखाओं के अविच्छिन्न उन्नति तथा महत्त्वपूर् ...१२९ KB (९५१ शब्द) - ०६:१२, २१ फ़रवरी २०२५
- ...रिवर्तनशील स्वरूपों" या अमूर्तता का अध्ययन करती है जिसके लिए भौतिक वस्तुएं केवल अनुमान हैं; और उन्होंने "स्वयंसिद्ध विधि" के विचार को विकसित किया जो आज भ दार्शनिक [[प्लेटो]] (427-347 ई.पू.) यूनानियों के लिए सबसे सम्मानित हस्ती थे जिन्होंन ...११० KB (१,४१९ शब्द) - ०४:०८, २० सितम्बर २०२४
- आधुनिक युग और ज्ञान के विश्व स्तरीय प्रसार से पहले, कुछ ही स्थलों में नए गणितीय विकास ...12th century|translated into Latin]]) किया गया, जिसके परिणाम स्वरुप [[मध्य युग|मध्यकालीन यूरोप]] ([[:en:Middle Ages|medieval Europe]]) में गणित का आगे विक ...१६८ KB (४,३१८ शब्द) - ०६:५३, १२ अगस्त २०२४
- |influences = [[योहानेस केप्लर]]<br/>[[गैलीलियो गैलिली]]<br/>[[अरस्तु]]<br/>[[रॉबर्ट बॉयल]] ...ि के सिद्धान्त की खोज की। वे एक महान गणितज्ञ, भौतिक वैज्ञानिक, ज्योतिष एवं दार्शनिक थे। इनका शोध प्रपत्र ‘''[[प्राकृतिक दर्शन के गणितीय सिद्धांत|प्राकृतिक दर्श ...१५३ KB (३,४७७ शब्द) - १६:३९, १९ अक्टूबर २०२४