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- [[चित्र:Graphite-pV.svg|thumb|350px| अवस्था समीकरण हमें कई शेत्रो में सहायक है। ]] ...हों तो तीसरी उन दोनों पर निश्चित प्रकार से निर्भर होगी और उसका मान अवस्था समीकरण से मालूम किया जा सकता है। [[बायल]] और [[चार्ल्स]] के नियमों से'''PV=RT''' ...५ KB (११८ शब्द) - १४:४४, १६ मई २०२३
- ...ात्रा में कार्य करना पड़ता है। कार्य की मात्रा पिंड की प्रारंभिक तथा अंतिम अवस्थाओं पर ही निर्भर रहती है, इस बात पर नहीं कि यह कार्य कैसे किया जाता है। यदि प ...ऊर्जा''' कहते हैं। यदि कोई पिंड एक निश्चित अवस्था से प्रारंभ करके विभिन्न अवस्थाओं में होते हुए फिर उसी प्रारंभिक अवस्था में आ जाए तो उसकी आंतारिक ऊर्जा में ...९ KB (११४ शब्द) - ००:५१, २८ अक्टूबर २०२३
- ...है। अवस्था क्षेत्र मोडेल में दो समीकरण होते हैं - अवस्था समीकरण तथा आउटपुट समीकरण। ...फलनों की आवश्यकता होगी जबकि अवस्था-क्षेत्र में उसे ही निरूपित करने के लिये केवल दो मैट्रिक्स लगते हैं। ...१२ KB (६०१ शब्द) - १७:३२, २२ जुलाई २०२४
- == द्रवस्थैतिक संतुलन का समीकरण == इस [[समीकरण]] के दोनो पक्षों को '''V''' से भाग देने पर, ...४ KB (४० शब्द) - १०:४८, ३ मार्च २०२०
- चूंकि पदार्थ की मुख्य रूप से तीन भौतिक अवस्थाएँ हैं - ठोस, द्रव एवं [[गैस]]। अत: मुख्यत: दो गुप्त उष्माएँ होतीं हैं - गुप्त उष्मा की मात्रा का समीकरण है - ...५ KB (१५३ शब्द) - १६:०६, २० जुलाई २०२३
- ...सें, [[आदर्श गैस समीकरण]] का ठीक से पालन नहीं करतीं , जबकि वान डर वाल्स का समीकरण काफी सीमा तक वास्तविक गैसों के व्यवहार का ठीक से वर्णन करता है। | [[डेकेन]] (C<sub>10</sub>H<sub>22</sub>) ...३ KB (१८९ शब्द) - १०:२२, ९ अक्टूबर २०२२
- ...कौशी संवेग समीकरण''' [[ऑगस्टिन लुई कौशी|कौशी]] द्वारा सुझावित [[आंशिक अवकल समीकरण]] है जो किसी भी [[सांतत्यक (समुच्चय सिद्धांत)|सांतत्यक]] में संवेग अपवाहन क ...िक [[संवेग संरक्षण]] समीकरण, जैसे [[नेवियर-स्टोक्स समीकरण]], को कौशी संवेग समीकरण और [[संघटक सम्बंध]] द्वारा प्रतिबल प्रदिश को निर्दिष्ट करते हुए व्युत्पित क ...८ KB (६११ शब्द) - ०४:०९, १३ अगस्त २०२४
- ...चना के कारण इस समीकरण को [[साधारण अवकल समीकरण|नियत गुणांकों]] के साथ तुल्य समीकरण से प्रतिस्थापित किया जा सकता है जिसे स्पष्टतया हल किया जा सकता है। == समीकरण == ...१२ KB (७७४ शब्द) - २२:२८, २७ जुलाई २०१९
- ...ght dynamics with text.png|right|thumb|दृढ़ पिण्ड की स्थिति इसके द्रव्यमान केन्द्र और अभिविन्यास (कम से कम छ: प्राचल) से निर्धारित की जाती है।<ref name=S == गतिकी समीकरण == ...४ KB (१०२ शब्द) - ०२:०१, १५ जून २०२०
- == बर्नौली समीकरण का विशेष स्थिति में स्वरूप == इस स्थिति में बर्नौली का समीकरण निम्नवत है: ...५ KB (२१९ शब्द) - ०९:३९, ३१ दिसम्बर २०२३
- ...अन्तर केवल इतना है कि यहाँ इलेक्ट्रॉनों की वृत्तीय गति के लिए आवश्यक [[अभिकेन्द्रीय बल]] नाभिक में स्थित धनावेशित [[प्रोटॉन|प्रोटॉनों]] एवं ऋणावेशित इले *∆E के अंतर वाली दो स्थायी अवस्थाओं के संक्रमण के समय अवशोषित अथवा उत्सर्जित विकिरण को निम्नलिखित रूप में दिय ...८ KB (५१ शब्द) - १६:२९, २२ अप्रैल २०२३
- ...पूर्णांक, आदि) सूचकांक ''m'' और ''n'' के लिए इस फलन को ''स्थानान्तरण फलनीय समीकरण'' कहते हैं। ...म्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस|isbn=0-521-35561-3|trans-title=पुनरावृत्ति फलनिक समीकरण|language=अंग्रेज़ी|url-access=registration|url=https://archive.org/details/ ...५ KB (१९८ शब्द) - १९:२१, २३ अक्टूबर २०१९
- अणु में किसी भी परमाणु के औपचारिक आवेश की गणना निम्नलिखित समीकरण द्वारा की जा सकती है: ...४ KB (११९ शब्द) - १७:२४, ३० जून २०२३
- [[प्रमात्रा यान्त्रिकी|क्वांटम यांत्रिकी]] में, '''श्रोडिंगर समीकरण''' हमें यह बताता है की किसी भौतिक निकाय की क्वांटम अवस्था समय के अनुसार कैस चिरसम्मत यांत्रिकी (classical mechanics) में गति की समीकरण (ईक्वेशन ऑफ मोशन)<ref name = sch>{{cite journal ...१७ KB (८२७ शब्द) - ०५:२३, १७ अक्टूबर २०२०
- ...े रूप में। इस परिपाटी के बाद, NaCl की जालक ऊर्जा +786 kJ/mol होगी। दोनों संकेत सम्मेलनों का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। ...जाली ऊर्जा और जाली [[एन्थैल्पी]] के बीच का संबंध <math>P</math> निम्नलिखित समीकरण द्वारा दिया गया है: ...६ KB (१८५ शब्द) - १२:१८, २७ फ़रवरी २०२४
- डिराक समीकरण को हल करने पर हमें ऋणात्मक ऊर्जा की क्वांटम (प्रमात्रा) अवस्था प्राप्त होती कण और प्रतिकण की क्वांटम अवस्थाओं का आवेश संयुग्मन (C), पैरिटी (Parity) (P) और समय व्युत्क्रमण (T) संकारको ...१५ KB (६१२ शब्द) - १०:०३, ९ अगस्त २०२४
- ...र्णन को कई बार कुलाम्ब प्रकीर्णन की विशेष अवस्था भी कहा जाता है क्योंकि यह केवल स्थैतिक ([[कूलम्ब|कुलाम्ब]]) [[बल (भौतिकी)|बलों]] पर लागू होता है और कणों ...किया जा सकता है। व्यापक रूप में गति की समीकरण के अनुसार यदि कोई दो कण किसी केन्द्रीय बल के अधीन अन्योन्य क्रिया करते हैं तो उन्हें द्रव्यमान केंद्र व उन ...५ KB (३३१ शब्द) - १५:३२, २३ अप्रैल २०२२
- ...्त्र हैं [[अध्यारोपण प्रमेय|अध्यारोपण का सिद्धान्त]] (superposition) तथा स्केलिंग (scaling) के गुण को सन्तुष्ट करते हैं ...ीं है। उदाहरण के लिये किसी रेखीय तन्त्र के इनपुट में एक ''स्क्वायर वेव'' संकेत देने पर कतईं ज़रूरी नही हैकि ऑउटपुट ''स्क्वायर वेव'' ही हो। ...९ KB (१५१ शब्द) - ०६:२४, ३ मार्च २०२०
- ...क बल दिया जाता है। अत: आधुनिक काल में प्रतिक्रिया गतिविज्ञान का गहन अध्ययन केवल प्रयोगशाला का विषय न होकर औद्योगिक क्षेत्र का प्रमुख विषय बन गया है। प्रत ...ध्ययन करने से प्राप्त तथ्य लगभग सत्य होता है तथा कभी कभी मात्रात्मक न होकर केवल गुणात्मक होता है। रासायनिक क्रिया का इस रीति से अध्ययन क्रियागति वैज्ञानि ...४४ KB (३२३ शब्द) - १०:०२, १५ जुलाई २०२४
- ...की गति से सम्बन्धित [[कारणता|कारण]] सहित व्याख्या सर्वप्रथम १९०५ में जॉन्स केप्लर ''एस्ट्रोनोमा नोवा'' से मिली। ...्राप्त करने के लिए न्यूटन के द्वितीय नियम में रखा जा सकता है जिसे ''गति की समीकरण'' कहा जाता है। ...२० KB (३९३ शब्द) - १६:५३, ७ अप्रैल २०२३