खोज परिणाम
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
- प्रारम्भिक अंकगणित में, '''वज्र गुणन विधि''' (The Rule of Three) या '''आनुपातिकता का नियम''' य [[श्रेणी:आरम्भिक अंकगणित]] ...६ KB (३१३ शब्द) - १९:२८, २९ अक्टूबर २०२४
- ...सूत्र दिये गये हैं। वैदिक गणित गणना की ऐसी पद्धति है, जिससे जटिल [[अंकगणित|अंकगणितीय]] गणनाएं अत्यंत ही सरल, सहज व त्वरित संभव हैं। स्वामीजी ने इसका प्रणयन बीसवीं सदी के आरम्भिक दिनों में किया। स्वामीजी के कथन के अनुसार वे सूत्र, जिन पर ‘वैदिक गणित’ नाम ...१४ KB (२९१ शब्द) - १६:३३, ३० अक्टूबर २०२४
- ...', '''पाटीगणित सार''' और '''त्रिशतिका''' उनकी उपलब्ध रचनाएँ हैं जो मूलतः [[अंकगणित]] और क्षेत्र-व्यवहार से संबंधित हैं। [[भास्कराचार्य]] ने [[बीजगणित (संस्कृत ...होने [[बीजगणित]] के व्यावहारिक उपयोगों के बारे में लिखा है और बीजगणित को [[अंकगणित]] से अलग किया। ...१७ KB (२२८ शब्द) - ११:१४, ४ मार्च २०२५
- ...इतिहास की तरह ही [[गणित]] का भी इतिहास अत्यन्त प्राचीन है। मानव सभ्यता के आरम्भिक काल में ही गणित अथवा गणन विषयक अवधारणा का आरम्भ हो गया होगा, ऐसा दिखायी पड़ ...समय है जब दाशमिक अंकलेखन प्रणाली, शून्य का आविष्कार, बीजगणित का आविष्कार, अंकगणित का विकास, ज्योतिषशास्त्र का विकास आदि महत्त्वपूर्ण घटनाएं हुईं। इस काल के ग ...१२९ KB (९५१ शब्द) - ०६:१२, २१ फ़रवरी २०२५