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- ...्य नियम या सिद्धांत द्वारा निष्कर्षित न किया जा सके। [[गणित]] में प्राथमिक ज्ञान को [[अभिगृहीत]] (ऐक्सियम) कहा जाता है।<ref>Irwin, Terence. Aristotle's Firs ...ता है।" इसमें पहले दो वाक्य प्राथमिक ज्ञान हैं, लेकिन तीसरा वाक्य प्राथमिक ज्ञान नहीं है क्योंकि वह पहले दो वाक्यों द्वारा निकाला गया निष्कर्ष है। ...२ KB (३८ शब्द) - २३:१४, २४ मई २०१६
- ...र्टीज]] के समय का है। बीजीय फलनों पर पहली चर्चा [[एडवर्ड वेरिंग]] के "मानव ज्ञान पर एक निबन्ध" (An Essay on the Principles of Human Knowledge) नामक लेख में ...२ KB (१०३ शब्द) - ११:४०, १२ मार्च २०१३
- भारतीय गणितज्ञों को त्रैराशिक नियम का ज्ञान ६ठी शताब्दी ईसापूर्व से है। भारतीय गणित इसे प्रायः 'त्रैराशिक व्यवहार' के न ...राशि) , और फिर इसे उस राशि से भाग दे देते हैं जिसके लिये परिणाम ज्ञात है (ज्ञान राशि)।'' <ref>[https://www.mpiwg-berlin.mpg.de/Preprints/P435.PDF Sanskrit- ...६ KB (३१३ शब्द) - १९:२८, २९ अक्टूबर २०२४
- ...यरत प्रतिबल एवं उसी रेखा में उत्पन्न विकृति से '''रैखिक प्रत्यास्थता''' का ज्ञान होता है। किसी पदार्थ के लिये प्रतिबल एवं विकृति का अनुपात (प्रतिबल/विकृति) ...विशेष महत्व है। यांत्रिक (mechanical) एवं सिविल (civil) इंजीनियरिंग में इस ज्ञान का व्यापक उपयोग है। ...८ KB (९३ शब्द) - ०७:००, १७ सितम्बर २०२४
- ...igenvalues), मैट्रिस का [[सारणिक]] (determinant) तथा इसके ट्रेस (trace) का ज्ञान हो जाता है। ...४ KB (९५ शब्द) - १९:०३, १७ नवम्बर २०२१
- [[श्रेणी:ज्ञान]] ...५ KB (६८ शब्द) - १०:४२, ७ जुलाई २०२४
- * [https://web.archive.org/web/20190702024826/http://itgyan.co.cc/ तकनीकी ज्ञान, हिंदी में] ...६ KB (१८३ शब्द) - १५:२२, २० अक्टूबर २०२३
- ...के समय से ही [[वर्ग]] एवं वर्गमूल के सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक पक्षों का ज्ञान था। शुल्ब सूत्रों की रचना ८०० ईसापूर्व से ५०० ईसापूर्व तक बतायी जाती है किन ...५ KB (२१२ शब्द) - १३:५१, २२ जुलाई २०२४
- ...ा - उनके कार्यों की एक झलक देते हैं। वरःमिहिर का मुख्य उद्देश्य गणित एवं विज्ञान को जनहित से जोड़ना था। वस्तुतः [[ऋग्वेद]] काल से ही भारत की यह परम्परा रही ...न्य स्थानों के विद्वान भी यहां एकत्र होते रहते थे। समय आने पर उनके ज्योतिष ज्ञान का पता विक्रमादित्य [[चन्द्रगुप्त द्वितीय]] को लगा। राजा ने उन्हें अपने दरब ...२१ KB (५०५ शब्द) - २०:२६, १८ जनवरी २०२५
- ...ें)। धरती का चुम्बकीय क्षेत्र, [[दिक्सूचक|चुम्बकीय सुई]] के माध्यम से दिशा ज्ञान कराने में उपयोगी है। [[विद्युत मोटर]] और [[विद्युत जनित्र]] में चुम्बकीय क् ...६ KB (१८४ शब्द) - ०८:०४, २८ सितम्बर २०२४
- ...'''प्रायिकता''' या '''संभाव्यता''' कहते हैं। [[सांख्यिकी]], [[गणित]], [[विज्ञान]], [[दर्शनशास्त्र]] आदि क्षेत्रों में इसका बहुतायत से प्रयोग होता है। ...ित है और न असंभव। यदि निश्चित ज्ञान का प्रतीक 'एक' (1) माना जाए और निश्चित ज्ञान के अभाव का 'शून्य' (0), तब संभाव्यता का स्थान इन्हीं '0' और '1' के मध्य निर ...१३ KB (५४२ शब्द) - १८:२७, २२ जनवरी २०२२
- ...है जिससे प्रदर्शित होता है कि उनको द्विघात समीकरण तथा उसके दोनों मूलों का ज्ञान था (स्मिथ 1951, पृष्ट 159; स्मिथ 1953, पृष्ट 444)। किन्तु ऐसा प्रतीत होता ...६ KB (१११ शब्द) - ०५:४६, ६ अक्टूबर २०२४
- ...में, इस सिंथेटिक फॉरवर्ड विकल्प की निहित अस्थिरता है। हालांकि यह प्रति-सहज ज्ञान युक्त प्रतीत हो सकता है कि कोई एक ऐसा सिंथेटिक विकल्प बना सकता है जिसकी नि ...७ KB (५१ शब्द) - ०७:२४, १६ फ़रवरी २०२४
- अनन्तस्पर्शी के ज्ञान से वक्रों के आरेखण में बहुत सहायता मिलती है क्योंकि अनन्तस्पर्शी वक्रों का ...७ KB (११७ शब्द) - ११:२२, २३ जुलाई २०२४
- ...त डिजाइन करने के लिये वहाँ की '''मृदा प्रतिरोधकता''' (Soil Resistivity) का ज्ञान अति आवश्यक है। ...६ KB (६०२ शब्द) - ०९:२९, १७ सितम्बर २०२३
- ...े विषयक्षेत्र में वृद्धि एवं विकास का प्रमुख कारण [[उष्मागतिकी|ऊष्मा-गति-विज्ञान]] का विकास है। ...होती है। किसी रासायनिक क्रिया का इस रीति से अध्ययन एवं विश्लेषण ऊष्मा गतिविज्ञान पर आधारित होता है। ...४४ KB (३२३ शब्द) - १०:०२, १५ जुलाई २०२४
- ...र्णन किया है। [[भारत]] में [[शोरा]] तथा नाइट्रिक अम्ल का १६वीं शताब्दी में ज्ञान था। [[शुक्राचार्य]] के ग्रंथ [[शुक्रनीति]] में [[बारूद]] बनाने के लिए इसे उ ...१५ KB (४८५ शब्द) - ०७:००, २७ नवम्बर २०२४
- ...ी पूर्ण रूप से हल नहीं हो पाए हैं। कुछ अवस्थाओं में अनुकलन संभव हैं, जिनका ज्ञान इस विषय की भिन्न-भिन्न पुस्तकों से प्राप्त हो सकता है। अनुकलन करने की विधिय ...ें हल करना उन राशियों का ज्ञान प्राप्त करने के लिए आवश्यक होता है। इसलिए विज्ञान की उन्नति बहुत अंश तक अवकल समीकरण की प्रगति पर निर्भर है। ...१८ KB (१,१९१ शब्द) - १७:२७, ८ मई २०२३
- ...<sub>ℓ</sub> समन्वय अक्ष के संगत कक्षकों के त्रिविम अभिविन्यास के बारे में ज्ञान देती है। किसी उपकोश हेतु m<sub>ℓ</sub> के (2ℓ+1) मान सम्भव है। इन मानों को ...११ KB (१०२ शब्द) - ११:०५, २१ अप्रैल २०२३
- ...'''' का प्रयोग हुआ है जो क्रमशः sine व cosine के समानार्थी हैं। भारत से यह ज्ञान अरबों के पास गया और फिर यूरोप को गया। ...११ KB (७१८ शब्द) - १९:४७, २८ दिसम्बर २०२२