अन्तरापृष्ठ पर विद्युतचुम्बकीय क्षेत्र का व्यवहार

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मैक्सवेल के समीकरण विद्युतचुम्बकीय क्षेत्रों के व्यवहार की व्याख्या करते हैं। विद्युत क्षेत्र, विद्युत विस्थापन क्षेत्र, (electric displacement field), चुम्बकीय क्षेत्र और चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता (magnetic field strength) चार चुम्बकीय क्षेत्र सदिश हैं। सदिश E, D, B और H के अवकलनीय होने के लिये आवश्यक है कि माध्यम सतत हो।

किन्तु यदि कहीं अलग-अलग विद्युतशीलता (परमिटिविटी) एवं चुम्बकीय पारगम्यता (परमिएबिलिटी) वाले दो माध्यम मिलते हैं तो उनके अन्तरापृष्ठ (इण्टरफेस) पर विद्युतचुम्बकीय क्षेत्रों का व्यवहार निम्नलिखित प्रकार का होता है-

अन्तरापृष्ठ पर विद्युत क्षेत्र सदिशों का व्यवहार

विद्युत क्षेत्र

𝐧12×(𝐄2𝐄1)=𝟎

where:
𝐧12 is normal vector from medium 1 to medium 2.

अतः अन्तरापृष्ठ पर E का स्पर्शरेखीय घटक सतत होता है।

विद्युत विस्थापन क्षेत्र (electric displacement field)

(𝐃2𝐃1)𝐧12=ρs

where:
𝐧12 is normal vector from medium 1 to medium 2.
ρs is the surface charge between the media.

अतः अन्तरापृष्ठ पर D का अभिलाम्बिक घटक सतत नहीं होता बल्कि उनमें अन्तरापृष्ठीय तल पर मौजूद तलीय आवेश घनत्व के बराबर अन्तर होता है।

अन्तरापृष्ठ पर चुम्बकीय क्षेत्र सदिशों का व्यवहार

चुम्बकीय क्षेत्र

(𝐁2𝐁1)𝐧12=0

where:
𝐧12 is normal vector from medium 1 to medium 2.

अतः अन्तरापृष्ठ पर B का अभिलाम्बिक घटक सतत होता है।

चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता (H)

𝐧12×(𝐇2𝐇1)=𝐣s

where:
𝐧12 is normal vector from medium 1 to medium 2.
𝐣s is the surface current density between the two media.

अतः, यदि तलीय धारा (surface current) शून्य हो तो अन्तरापृष्ठ पर H का स्पर्शरेखीय घटक सतत होगा।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ