ट्रैपिस्ट-१
साँचा:Starbox begin साँचा:Starbox image साँचा:Starbox observe साँचा:Starbox character साँचा:Starbox astrometry साँचा:Starbox detail साँचा:Starbox catalog साँचा:Starbox reference साँचा:Starbox end चित्र:A trip to TRAPPIST-1 and its seven planets.webm चित्र:Artist’s impression of the ultracool dwarf star TRAPPIST-1 from close to one of its planets.ogv ट्रैपिस्ट-१ (TRAPPIST-1), जिसे 2MASS J23062928-0502285 भी नामांकित करा जाता है, कुम्भ तारामंडल के क्षेत्र में स्थित एक अतिशीतल बौना तारा है जो हमारे सौर मंडल के बृहस्पति ग्रह से ज़रा बड़ा है। यह सूरज से लगभग 39.5 प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। इसके इर्द-गिर्द एक ग्रहीय मंडल है और फ़रवरी 2017 तक इस मंडल में सात स्थलीय ग्रह इस तारे की परिक्रमा करते पाए गए थे जो किसी भी अन्य ज्ञात ग्रहीय मंडल से अधिक हैं।[१]
ग्रहीय मंडल
फ़रवरी 2017 में खगोलशास्त्रियों ने घोषणा करी कि इस तारे के ग्रहीय मंडल में सात स्थलीय ग्रह मिले हैं जिनमें से पाँच (बी, सी, ई, एफ़, जी) पृथ्वी से मिलते-जुलते आकार के हैं और दो (डी, एच) मंगल (जिसका व्यास पृथ्वी से लगभग आधा है) और पृथ्वी के बीच के आकार के हैं।[२] तीन (ई, एफ़ और जी) वासयोग्य क्षेत्र में परिक्रमा कर रहे हैं।[२][३][४][५] इस मंडल के भीतरी छह ग्रहों का कुल द्रव्यमान ट्रैपिस्ट-१ तारे के द्रव्यमान का लगभग 0.02% है, जो गैलीलियन चंद्रमाओं के समान है। यह इस ग्रहीय मंडल और बृहस्पति के उपग्रहीय मंडल के रचना-इतिहस में कुछ समानताओं की ओर संकेत करता है।[२]
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कुम्भ तारामंडल के इस लाल गोले द्वारा दर्शित क्षेत्र में ट्रैपिस्ट-१ मंडल स्थित है
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ट्रैपिस्ट-१ ग्रहीय मंडल, व्यास, द्रव्यमान और केन्द्रीय तारे से दूरी के आधार पर (काल्पनिक चित्रण)
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ट्रैपिस्ट-१ ग्रहीय मंडल हमारे सौर मंडल की कुछ वस्तुओं के साथ (आकारों का तुलनात्मक चित्रण)
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इन ग्रहों का धनत्व पृथ्वी के ~0.60 से ~1.17 गुना के बीच है (ρ⊕, 5.51 ग्राम/सेमी3), जो इनके अधिकांश भाग के कणों-पत्थरों से बने होने का संकेत है। इन धनत्वों के अनुमानों में ऊपर-नीचे ग़लती होने की सम्भावना होने के कारण यह यक़ीन से नहीं कहा जा सकता कि इनमें जल या अन्य पदार्थों की बर्फ़ है या नहीं। केवल "एफ़" ग्रह का घनत्व (0.60±0.17 ρ⊕) ऐसा है कि उसपर बर्फ़ या एक बहुत मोटे वायुमंडल की तह होने की काफ़ी सम्भावना है।[२]
हमारे सौर मंडल की तुलना में ट्रैपिस्ट-१ के सातों ग्रह केन्द्रीय तारे के बहुत पास हैं और उनकी कक्षाएँ हमारे सौर मंडल के सबसे भीतरी ग्रह, बुध, की सूरज के इर्द-गिर्द कक्षा से भी कहीं अधिक समीपी हैं। लेकिन, ट्रैपिस्ट-१बी के अलावा, सबकी कक्षाएँ बृहस्पति के इर्द-गिर्द गैलीलियन चंद्रमाओं की कक्षाओं से अधिक दूर लेकिन बृहस्पति के अन्य उपग्रहों से अधिक समीप हैं।[६] ट्रैपिस्ट-१बी और ट्रैपिस्ट-१सी के दो ग्रहों की दूरी पृथ्वी और चंद्रमा की दूरी से केवल 1.6 गुना है, यानि यह एक दूसरे के आकाशों में चंद्रमा से कई गुना ज़्यादा बड़े आकार के नज़र आते होंगे।[५] तारे के सबसे नज़दीकी ग्रह, ट्रैपिस्ट-१बी, पर एक वर्ष (यानि तारे की एक परिक्रमा करने की अवधि) केवल 1.5 पृथ्वी-वाले दिन हैं, जबकि छठे ग्रह का एक वर्ष केवल 12.3 दिन है। सातवे ग्रह के वर्ष की अवधि अनिश्चित है और साँचा:Val दिनों के बीच है, क्योंकि उस ग्रह को तारे से आगे गुज़रते हुए केवल एक बार देखा गया है। कम आयु के लाल बौने तारों में बार-बार शक्तिशाली धधकन और लपटें होती रहती हैं जो उनके समीपी ग्रहों के वायुमंडलों को शायद अंतरिक्ष में उड़ाकर खत्म कर देती हैं, लेकिन भूरे बौने कम शक्ति से घघकते हैं।[७]
कक्षीय अनुनाद
बी-से-जी तक के ग्रहों की कक्षाएँ कक्षीय अनुनाद (orbital resonance) के समीप हैं, और उनकी अवधियाँ लगभग 24/15, 24/9, 24/6, 24/4 and 24/3 हैं, यानि भीतरी-से-बाहरी ग्रह जाते हुए निकटतम-पड़ोसी अवधि अनुपात (nearest-neighbor period ratios) लगभग 8/5, 5/3, 3/2, 3/2 and 4/3 (1.603, 1.672, 1.506, 1.509 and 1.342) हैं। यह बहिर्ग्रहों (एक्सोप्लैनटों) की सबसे लम्बी ज्ञात कक्षीय अनुनाद (या लगभग कक्षीय अनुनाद) की शृंखला है। समझा जाता है कि यह ग्रहों के आपसी गुरुत्वाकर्षक प्रभावों से उस समय हुआ जब वे, अपनी कृति होने के बाद, आदिग्रह चक्र के बचे-कुचे मलबे में से होते हुए अपने तारे के पास आ रहे थे।[२] इस तारे के दूर सृष्टि और फिर कक्षा के सिकुड़ने की प्रक्रिया का अर्थ है कि इन ग्रहों पर जल उपस्थित होने की सम्भावना बढ़ जाती है। सबसे बाहरी ग्रह, एच, की कक्षीय अवधि अज्ञात होने के कारण यह भी अज्ञात है कि वह अन्य ग्रहों के साथ कक्षीय अनुनाद रखता है या नहीं।
ज्वारबंधन
यह अनुमान लगाया जाता है कि सातों ग्रह ज्वारबंध (tidally locked) होंगे, यानि प्रत्येक का एक स्थाई मुख ही तारे की ओर टिका हुआ है, जिस से उनपर जीवन आरम्भ होने में "बहुत अधिक कठिनाई" होने की आशंका है।[८] यह भी मुमकिन है (हालांकि इसकी सम्भावना कम है) कि इनमें से कुछ ग्रह घूर्णन-कक्षा अनुनाद (spin-orbit resonance) की स्थिति में हैं। ज्वारबंध ग्रहों पर एक ओर हमेशा दिन और एक ओर हमेशा रात्रि रहती है। इस से इन दोनों मुखों के तापमान में भारी और स्थाई अंतर और पूरे ग्रह पर भयानक आंधियों के स्थाई रूप से चलते रहने का अनुमान है। ऐसी स्थितियों में जीवन पनप सकने की सबसे अधिक सम्भावना दिन-रात्रि के बीच की एक छोटी-सी अर्ध-उज्ज्वल पट्टी पर होने की समझी जाती है।
इन्हें भी देखें
टिप्पणियाँ
सन्दर्भ
- ↑ साँचा:Cite web
- ↑ २.० २.१ २.२ २.३ २.४ सन्दर्भ त्रुटि: अमान्य
<ref>टैग;Gillon2017नामक संदर्भ की जानकारी नहीं है - ↑ साँचा:Cite press release
- ↑ साँचा:Cite web
- ↑ ५.० ५.१ साँचा:Cite web
- ↑ साँचा:Cite web
- ↑ साँचा:Cite journal
- ↑ साँचा:Cite journal