मुद्रा का आवधि‍क मूल्य

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आज के $1,000 का भविष्य के 100 वर्षो में मूल्य। वक्र में नियत रियायत दरों 2%, 3%, 5% और 7% को दिखाया गया है।

मुद्रा का आवधिक मूल्य अथवा टाइम वैल्यू ऑफ मनी (टीवीएम, time value of money; शब्दशः धन का समय मूल्य) व्यापक रूप से स्वीकृत अटकल है जिसके अनुसार मुद्रा की समान मात्रा को भविष्य की तुलना में आज प्राप्त करना अधिक लाभदायक है।[] इसे समय वरीयता की बाद में विकसित अवधारणा के निहितार्थ के रूप में देखा जा सकता है।

मुद्रा का आवधिक मूल्य उन कारकों में गिना जाता है जिनमें बचत या निवेश के स्थान पर खर्च की अवसर लागत का मूल्यांकन करना हो। यह ब्याज भुगतान अथवा प्राप्ति के कारणों में से एक है: बैंक जमा अथवा ऋण, जमाकर्ता या ऋणदाता को उनके धन के उपयोग के नुकसान की भरपाई ब्याज से की जाती है। निवेशक अपना पैसा (धन) उसी समय लगाते हैं जब उन्हें भविष्य में अपने निवेश पर आय प्राप्ति के अनुकूल आशा हो। जैसे कि बाद में उपलब्ध होने वाला बढ़ा हुआ मूल्य अभी धन खर्च करने की प्राथमिकता और मुद्रास्फीति (यदि मौजूद है तो) दोनों की भरपाई करने के लिए पर्याप्त रूप से अधिक हो।[]

गणना

धन के समय मूल्य की समस्याओं में समय के विभिन्न बिंदुओं पर नकदी प्रवाह का शुद्ध मूल्य शामिल होता है।[]

एक सामान्य मामले में इसके लिए मुख्या कारक ये हो सकते हैं: शेष (मौद्रिक इकाइयों के संदर्भ में किसी ऋण या वित्तीय परिसंपत्ति का वास्तविक या नाममात्र मूल्य), ब्याज की आवधिक दर, अवधियों की संख्या और नकदी प्रवाह की एक शृंखला। ऋण के मामले में, नकदी प्रवाह मूलधन और ब्याज के लिए भुगतान है; वित्तीय परिसंपत्ति के मामले में, ये शेष राशि में योगदान या निकासी हैं। अधिक व्यापक रूप में नकदी का प्रवाह आवधिक नहीं हो सकता है लेकिन व्यक्तिगत रूप से निर्दिष्ट किया जा सकता है। इनमें से कोई भी कारक किसी दी गई समस्या में स्वतंत्र कारक हो सकता है। उदाहरण के लिए किसी को ज्ञात है कि 25000 इकाई के शुरूआती शेष (अन्य स्थिति में ऋण) का 60 अवधियों (माह) के लिए 0.5% ब्याज दर (माना मासिक) पर अन्तिम शेष 0 इकाई है। अज्ञात कारक मासिक भुगतान हो सकता है जिसे उधारकर्ता को भुगतान करना होगा।

उदाहरण के लिए ₹100 एक वर्ष के लिए निवेश करने पर 5% ब्याज दर से एक वर्ष बाद कुल राशी ₹105 होती है अतः आज ₹100 का भुगतान और एक वर्ष पश्चात् ₹105 का भुगतान उन दोनों लोगों के लिए समान ही है जो 5% ब्याज मानकर चलते हैं और मुद्रास्फिति शुन्य मान रहे हैं। अर्थात् ₹100 का निवेश 5% ब्याज दर से एक वर्ष पश्चात् अपना भविष्य मूल्य ₹105 रखता है जबकि मुद्रास्फिति शुन्य हो।[]

यह सिद्धांत भविष्य में आय के संभावित प्रवाह के मूल्यांकन की इस तरह अनुमति देता है कि वार्षिक आय में छूट दी जाती है और फिर एक साथ जोड़ दी जाती है। इस प्रकार संपूर्ण आय को एकमुश्त "वर्तमान मूल्य" प्रदान किया जाता है जिसमें धन के समय मूल्य के लिए सभी मानक गणनाएँ भविष्य की राशि के वर्तमान मूल्य के लिए सबसे मूलभूत बीजगणितीय व्यंजक से प्राप्त होती हैं, धन के समय मूल्य के बराबर राशि द्वारा वर्तमान में "छूट" दी जाती है। उदाहरण के लिए एक वर्ष बाद मिलने वाला भविष्य मूल्य FV (फ्यूचर वैल्यू) ब्याज दर r की छूट के साथ वर्तमान मूल्य साँचा:Nowrap इस तरह ज्ञात किया जाता है:

PV=FV(1+r)

मुद्रा के समय मूल्य पर आधारित कुछ मानक गणनायें:

  • वर्तमान मूल्य: विशिष्ट प्रत्याय दर को ध्यान में रखते हुए, भविष्य की धनराशि का वर्तमान मूल्य या नकदी प्राप्ति का प्रवाह। भविष्य मूल्य प्रवाह छूट दर पर छूट के साथ; उच्च छूट दर का अर्थ है कि भविष्य राशी का वर्तमान मूल्य कम होगा। उचित छूट दर का निर्धारण भविष्य के नकदी प्रवाह का उचित मूल्यांकन करने की कुंजी है, चाहे वो कमाई हो या दायित्व।[]
  • वार्षिकी का वर्तमान मूल्य: वार्षिकी समान भुगतान या प्राप्तियों की एक शृंखला है जो समान अंतराल पर होती है। पट्टे और किराये का भुगतान इसके उदाहरण हैं। भुगतान या प्राप्तियां सामान्य वार्षिकी के लिए प्रत्येक अवधि के अंत में होती हैं जबकि देय वार्षिकी के लिए वे प्रत्येक अवधि की शुरुआत में होती हैं।[]
असीमित वार्षिकि का वर्तमान मूल्य समरूप नगदी प्रवाह का एक अनन्त और नियत निकास है।[]
  • भविष्य मूल्य: भविष्य में किसी निर्दिष्ट तिथि पर किसी संपत्ति या नकदी का मूल्य, वर्तमान में उस संपत्ति के मूल्य पर आधारित होता है।[]
  • वार्षिकी का भविष्य मूल्य (FVA): भुगतानों की एक धारा (वार्षिकी) का भविष्य का मूल्य, यह मानते हुए कि भुगतानों को एक निश्चित ब्याज दर पर निवेश किया जाता है।

सन्दर्भ

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