लोलक (गणित)
किसी स्थिर आधार से लटका हुआ कोई पिण्ड लोलक (pendulum) कहलाता है यदि वह गुरुत्वीय बल के कारण अपनी मध्यमान स्थिति से आगे-पीछे गति करने के लिये स्वतन्त्र हो। लोलक बहुत तरह के हो सकते हैं जिनमें से प्रमुख है- सरल लोलक, संयुक्त लोलक (कम्पाउण्ड पेन्डुलम), युग्मित लोलक (कपल्ड पेन्डुलम), न्यूटन का लोलक, शंकु लोलक आदि।
गणित में लोलक की गति का विस्तृत और बिना किसी सरलीकरण के अध्ययन किया जा सकता है।
सरल गुरुत्वीय लोलक

जब किसी स्थिर आधार से एक डोरी के द्वारा कोई द्रव्यमान लटका हो तो उसे 'सरल लोलक' कहते हैं। 'सरल लोलक', वास्तविक लोलक का सरलीकृत रूप है जिसमें निम्नलिखित मान्यताएँ अन्तर्निहित हैं-
- लोलक जिस धागे या रॉड से बंधा है वह शून्य द्रव्यमान वाला है। इसकी लम्बाई अपरिवर्तित और सदा तनी हुई रहती है।
- लोलक ( bob) एक बिन्दुवत द्रव्यमान (point mass) है। (डोरी की लम्बाई की तुलना में दोलक का आकार नगण्य है।)
- गति केवल दो बिमाओं (2-D) में हो रही है।
- इस गति में घर्षण या वायु के प्रतिरोध के कारण ऊर्जा का क्षय नहीं हो रहा।
सरल लोलक की गति को निरूपित करने वाला अवकल समीकरण (differential equation) निम्नलिखित है-
जहाँ गुरुत्वजनित त्वरण है, लोलक की लम्बाई है, और कोणीय विस्थापन है।
कम कोणीय विस्थापन के लिये सरल लोलक की गति का समीकरण
उपरोक्त अवकल समीकरण का हल आसानी से नहीं निकाला जा सकता और इस गति को सरल गणितीय फलनों के रूप में नहीं लिखा जा सकता। किन्तु यदि इसकी गति पर यह प्रतिबन्ध लगा दिया जाय कि दोलन का अधिकतम कोण बहुत कम है तो इसकी गति को सरल रूप में व्यक्त किया जा सकता है। उदाहरण के लिये मान लिया जाय कि लोलक का अधिकतम कोणीय विस्थापन १ रेडियन से बहुत कम (जैसे ०.१ रेडियन = ०.६ डिग्री) हो तो होगा और लोलक की गति का समीकरण यह लिख सकते हैं- जो कि हार्मोनिक दोलक (harmonic oscillator) की गति का समीकरण है।
माना कि यह लोलक अपनी मध्य स्थिति से साँचा:Math कोण विस्थापित करके शून्य कोणीय वेग से छोड़ दिया जाता है। तो समय के साथ इस लोलक का विस्थापन निम्नलिखित समीकरण से दिया जा सकता है-
वस्तुतः यह एक सरल आवर्त गति है जहाँ साँचा:Math इस गति का आयाम है। इस गति का आवर्त काल निम्नलिखित होगा-
ध्यान दें कि आवर्त काल का यह मान आयाम साँचा:Math पर निर्भर नहीं है (किन्तु यह कम अयाम के लिये ही सत्य है, आयाम अधिक होने पर आवर्तकाल, आयाम पर भी निर्भर करेगा।)
पृथ्वी की सतह पर साँचा:Math होता है, तथा साँचा:Math। उपरोक्त समीकरण में इन दोनों का मान रखने पर निम्नलिखित सरल सम्बन्ध प्राप्त होते हैं (जो लगभग मान हैं, ठीक-ठीक मान नहीं)
इसीलिये, १ मीटर लम्बे लोलक का आवर्तकाल धरती की सतह पर लगभग २ सेकेण्ड होता है।

इन्हें भी देखें
- शंक्वीय लोलक (Conical pendulum)
- द्विक लोलक (Double pendulum)
- प्रतीपित लोलक (Inverted pendulum)
- कपिट्जा लोलक (Kapitza's pendulum)
- स्प्रिंग लोलक (Spring pendulum)