भास्कर प्रथम का ज्या सन्निकटन सूत्र
भारत के महान गणितज्ञ भास्कर प्रथम ने अपने 'महाभास्करीय' नामक ग्रंथ में त्रिकोणमितीय फलन ज्या य (Sin x) का मान निकालने का एक परिमेय व्यंजक दिया है[१]। यह पता नहीं है कि भास्कर ने यह सन्निकटन सूत्र कैसे निकाला होगा। किन्तु गणित के अनेकों इतिहासकारों ने अपने-अपने अनुमान लगाये हैं कि भास्कर ने यह सूत्र किस प्रकार निकाला होगा। यह सूत्र सुन्दर एवं सहज है तथा इसके द्वारा Sin x का पर्याप्त शुद्ध मान प्राप्त होता है।[२]
महाभास्करीय में आठ अध्याय हैं। सातवें अध्याय के श्लोक १७, १८ और १९ [३]में उन्होने sin x का सन्निकट मान (approximate value) निकालने का निम्नलिखित सूत्र दिया है-
इस सूत्र को उन्होने आर्यभट्ट द्वारा दिया हुआ बताया है। इस सूत्र से प्राप्त ज्या य के मानों का आपेक्षिक त्रुटि 1.9% से कम है। (अधिकतम विचलन जो पर होता है।)[४]
- मख्यादिरहितं कर्मं वक्ष्यते तत्समासतः।
- चक्रार्धांशकसमूहाद्विधोध्या ये भुजांशकाः॥१७॥
- तच्छेषगुणिता द्विष्टाः शोध्याः खाभ्रेषुखाब्धितः।
- चतुर्थांशेन शेषस्य द्विष्ठमन्त्य फलं हतम् ॥१८॥
- बाहुकोट्योः फलं कृत्स्नं क्रमोत्क्रमगुणस्य वा।
- लभ्यते चन्द्रतीक्ष्णांश्वोस्ताराणां वापि तत्त्वतः ॥१९॥
- ( अनुवाद : प्लोफ्कर (Plofker) ने इसका अनुवाद निम्नलिखित किया है- [५]
- The degree of the arc, subtracted from the total degrees of
- half a circle, multiplied by the remainder from that [subtraction], are
- put down twice. [In one place] they are subtracted from sky-cloud-arrow-sky-ocean [40500];
- [in] the second place, [divided] by one-fourth of [that] remainder
- [and] multiplied by the final result [i.e., the trigonometric radius].”)
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- Bhaskar I's approximation to Sine (RC Gupta , BIT Ranchi)
सन्दर्भ
- ↑ साँचा:Cite web
- ↑ साँचा:Cite book (p.104)
- ↑ साँचा:Cite journal
- ↑ साँचा:Cite book (p.60)
- ↑ Kim Plofker, Mathematics in Ancient India, Princeton University Press, 2008, page 81