भास्कर प्रथम का ज्या सन्निकटन सूत्र

testwiki से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

भारत के महान गणितज्ञ भास्कर प्रथम ने अपने 'महाभास्करीय' नामक ग्रंथ में त्रिकोणमितीय फलन ज्या य (Sin x) का मान निकालने का एक परिमेय व्यंजक दिया है[]। यह पता नहीं है कि भास्कर ने यह सन्निकटन सूत्र कैसे निकाला होगा। किन्तु गणित के अनेकों इतिहासकारों ने अपने-अपने अनुमान लगाये हैं कि भास्कर ने यह सूत्र किस प्रकार निकाला होगा। यह सूत्र सुन्दर एवं सहज है तथा इसके द्वारा Sin x का पर्याप्त शुद्ध मान प्राप्त होता है।[]

महाभास्करीय में आठ अध्याय हैं। सातवें अध्याय के श्लोक १७, १८ और १९ []में उन्होने sin x का सन्निकट मान (approximate value) निकालने का निम्नलिखित सूत्र दिया है-

sinx16x(πx)5π24x(πx),(0xπ2)

इस सूत्र को उन्होने आर्यभट्ट द्वारा दिया हुआ बताया है। इस सूत्र से प्राप्त ज्या य के मानों का आपेक्षिक त्रुटि 1.9% से कम है। (अधिकतम विचलन 165π11.859% जो x=0 पर होता है।)[]

मख्यादिरहितं कर्मं वक्ष्यते तत्समासतः।
चक्रार्धांशकसमूहाद्विधोध्या ये भुजांशकाः॥१७॥
तच्छेषगुणिता द्विष्टाः शोध्याः खाभ्रेषुखाब्धितः।
चतुर्थांशेन शेषस्य द्विष्ठमन्त्य फलं हतम् ॥१८॥
बाहुकोट्योः फलं कृत्स्नं क्रमोत्क्रमगुणस्य वा।
लभ्यते चन्द्रतीक्ष्णांश्वोस्ताराणां वापि तत्त्वतः ॥१९॥
( अनुवाद : प्लोफ्कर (Plofker) ने इसका अनुवाद निम्नलिखित किया है- []
The degree of the arc, subtracted from the total degrees of
half a circle, multiplied by the remainder from that [subtraction], are
put down twice. [In one place] they are subtracted from sky-cloud-arrow-sky-ocean [40500];
[in] the second place, [divided] by one-fourth of [that] remainder
[and] multiplied by the final result [i.e., the trigonometric radius].”)

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

सन्दर्भ

साँचा:टिप्पणीसूची

साँचा:आधार

  1. साँचा:Cite web
  2. साँचा:Cite book (p.104)
  3. साँचा:Cite journal
  4. साँचा:Cite book (p.60)
  5. Kim Plofker, Mathematics in Ancient India, Princeton University Press, 2008, page 81