आर्कीमिडीज सिद्धान्त

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साँचा:सांतत्यक यांत्रिकी

आर्कीमिडीज सिद्धांत का उदाहरण : दूसरी परखनली में जो अतिरिक्त आयतन दिख रहा है वह डूबे हुए ठोस के आयतन के बराबर होगा। ठोस पर द्रव द्वारा ऊपर की ओर लगाया गया बल इस अतिरिक्त आयतन के द्रव के भार के बराबर होगा।

आर्कीमिडीज सिद्धान्त (साँचा:Lang-en) भौतिक नियम है जिसके अनुसार-

किसी तरल माध्यम में किसी वस्तु पर लगने वाला उत्प्लावन बल उस वस्तु द्वारा विस्थपित तरल के भार के बराबर होगा। अन्य शब्दो में, किसी तरल माध्यम में आंशिक या पूर्णतः डूबी हुई वस्तु पर लगने वाला उत्प्लावन बल उस वस्तु द्वारा विस्थापित तरल के भार के बराबर होता है।
E=mg=ρfgV

या,

𝐄=m𝐠=ρf𝐠V

जहाँ E = उत्प्लावन बल, : ρf = द्रव का घनत्व, g = गुरुत्वजनित त्वरण, V = द्रव द्वारा हटाये गये द्रव का आयतन

आर्कीमिडीज सिद्धान्त तरल यांत्रिकी का एक महत्वपूर्ण और आधारभूत सिद्धांत है। इस सिद्धान्त का नामकरण इसके आविष्कारक आर्किमिडिज़ के सम्मान में किया गया।[]

इस प्रयोग द्वारा उत्प्लावन बल की उपस्थिति एवं उसका प्रभाव स्पष्ट दिख रहा है। यद्यपि हवा में पलड़े के दोनों ओर की वस्तुओं का भार समान है किन्तु द्रव में डुबाने पर बाँयी तरफ की वस्तु पर अधिक उत्प्लावन बल (ऊपर की ओर) लग रहा है, जिससे इधर का पलड़ा ऊपर हो जाता है। ध्यान दें कि बाँयी तरफ की वस्तु का आयतन दाँयीं तरफ वाली वस्तु के आयतन से अधिक है।
इस प्रयोग द्वारा उत्प्लावन बल की उपस्थिति एवं उसका प्रभाव स्पष्ट दिख रहा है। यद्यपि हवा में पलड़े के दोनों ओर की वस्तुओं का भार समान है किन्तु द्रव में डुबाने पर बाँयी तरफ की वस्तु पर अधिक उत्प्लावन बल (ऊपर की ओर) लग रहा है, जिससे इधर का पलड़ा ऊपर हो जाता है। ध्यान दें कि बाँयी तरफ की वस्तु का आयतन दाँयीं तरफ वाली वस्तु के आयतन से अधिक है।

सन्दर्भ

साँचा:टिप्पणीसूची

इन्हें भी देखें