उधार
वित्तीय मामलों में एक पक्ष द्वारा दूसरे पक्ष को धन देना उधार कहलाता है। धन लेने वाला इसे ऋण कहता है और आमतौर पर इस धन के उपयोग के लिए ब्याज का भुगतान करता है।
ऋण को प्रमाणित करने वाले दस्तावेज़ (उदाहरण के लिए वचन पत्र) सामान्यतः उधार लिया गया मूलधन, ब्याज दर, पुनर्भुगतान की तिथि सहित अन्य बातों को निर्दिष्ट करता है। उधारी में उधार देने वाले और लेने वाले दोनों के मध्य एक निश्चित अवधि के लिए संपत्ति का लेनेदेने भी शामिल हो सकता है।
ब्याज ऋणदाता को मिलने वाला ब्याज उसे उधार देने के लिए प्रोत्साहित करता है। कानूनी उधारी में सभी दायित्व और प्रतिबंध एक समझौते द्वारा लागू किये जाते हैं। यद्यपि यह लेख मौद्रिक उधारी के बारे में है लेकिन वास्तविकता में कोई भी सामान उधार दिया जा सकता है।
उधार प्रदान कररने का काम बैंक और क्रेडिट कार्ड कंपनियों जैसे वित्तीय संस्थानों की मुख्य गतिविधियों में से एक है। अन्य संस्थानों के लिए वित्तपोषण का काम बॉन्ड जैसे ऋण अनुबंध द्वारा किया जाता है।
उधार भुगतान
उधारी भुगतान का सबसे आम तरिका पूर्णतः परिशोधन भुगतान है जिसमें एक परिमित मात्रा में निश्चित धन हर माह भुगतान करना होता है।[१]
यदि उधारी L के लिए मासिक भुगतान P किया जाता है और यह n माह तक किया जाता है तो मासिक ब्याज की दर c का मान:
इसकी अधिक जानकारी के लिए मासिक परिशोधन उधार अथवा परिशोधन भुगतान देखें।
उधारी में हिंसा
उधारी में हिंसा इसके दुरुपयोग के रूप में माना जाता है। कई बार उधार देने वाला ऐसी स्थिति में उधार देता है जिससे उधार लेने वाले को एक ऐसी स्थिति में रख सके जिससे उसका लाभ उठाया जा सके। इसके दो उदाहरण अवर कोटि बंधक उधार[२] और पे-डे उधारी हैं[३] जिनमें उधार देने वाला सामान्यतः अधिकृत या विनियमित नहीं होता है।
सूदखोरी हिंसा का एक अन्य रूप है जहाँ उधार देने वाल अधिक ब्याज की मांग करता है। ब्याज की दरें भिन्न-भिन्न समय और संस्कृतियों के अनुसार बदलते रहे हैं। बाइबिल के अनुसार शून्य ब्याज[४] से आरम्भ होते हुये यह बहुत अधिक ब्याज दरों तक का परिवर्तन दिखाता है। उपभोक्ता संगठनों के अनुसार क्रेडिट कार्ड कंपनियाँ कुछ देशों में अत्यधिक ब्याज दरों पर ऋण देना तथा तुच्छ "अतिरिक्त शुल्क" से धन कमाने का काम करती हैं।[५]