एच सेतु

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एक एच-सेतु और उसमें लोड के रूप में जुड़ा डीसी मोटर ; इस चित्र में दिखाए गए चार स्विचों के स्थान पर आवश्यकतानुसार यांत्रिक स्विच या इलेक्ट्रॉनिक स्विच (जैसे एससीआर,आईजीबीटी आदि) लगाए जा सकते हैं।
यह एच-सेतु मोटर को आगे की दिशा में घुमाने के लिए स्विच किया जा रहा है। मोटर पर लगने वाले वोल्टेज का मान कितना होगा, यह इस बात से निर्धारित होता है कि कौन सा स्विच कितनी देर चालू है

एच सेतु (H-bridge) एक इलेक्ट्रॉनिक परिपथ है जो इसमें लगी चार स्विचों के द्वारा लोड को दिए जाने वाले वोल्टेज की पोलारिटी (polarity) को बदलने का कार्य करती है। अर्थात इसके द्वारा लोड को इच्छानुसार धनात्मक वोल्टेज या ऋणात्मक वोल्टेज दिया जा सकता है। उदाहरण के लिए, इसकी सहायता से किसी डी सी मोटर को धनात्मक या ऋणात्मक वोल्टेज देकर इसे सीधी (forwards ) या उल्टी (backwards) दिशा में घुमाया जा सकता है। एच-सेतु का उपयोग एकल फेजी इन्वर्टर बनाने में भी किया जाता है। वास्तव में, अधिकांश इन्वर्टर, एसी-से-एसी-परिवर्तक, डीसी-से-डीसी पुश-पुल परिवर्तक, अधिकांश मोटर कन्ट्रोलर तथा शक्ति इलेक्ट्रॉनिकी में प्रयुक्त अनेकों अन्य परिपथ, एच-सेतु का उपयोग करते हैं।

कार्य सिद्धान्त

एच-सेतु से प्राप्त वोल्टता और धारा के आधार पर कहा जाता है कि वह एक चतुर्थांश में काम कर रहा है या किस-किस चतुर्थांश में काम कर सकता है। उदाहरण के लिए यदि सेतु की विद्युत-धारा को x-अक्ष पर और वोल्टता को y-अक्ष पर दिखाया जाय तो जिस समय इस सेतु की वोल्टता और धारा दोनों ही धनात्मक होते हैं उस अवस्था को कहते हैं कि सेतु प्रथम चतुर्थांश में कार्य कर रहा है। नीचे की तालिका में सेतु के कार्य करने की अवस्थाओं (operating modes) को दिखाया गया है।

UMIGenerator


Quadrant 2
आगे की गति में ब्रेक

UMIMotor


Quadrant 1
आगे की गति में त्वरण

Quadrant 3
उल्टी गति में त्वरण


UMIMotor

Quadrant 4
उल्टी गति में ब्रेक


UMIGenerator

L298 मोटर ड्राइवर जिसके अन्दर दो एच-सेतु हैं।

सन्दर्भ

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इन्हें भी देखें

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