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- {{प्रमात्रा क्षेत्र सिद्धान्त}} ...क क्षेत्र]] की [[उत्तेजित अवस्था]] के रूप में काम में लिया जाता है अतः इसे क्षेत्र क्वांटा कहते हैं। ...१९ KB (१,०१६ शब्द) - ०५:१४, १४ मार्च २०२४
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- {{प्रमात्रा क्षेत्र सिद्धान्त}} ...803.1340v2 Quantum Field Theory and Differential Geometry [क्वांटम क्षेत्र सिद्धान्त एवं अवकल ज्यामिति]] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/2016111822 ...३ KB (७५ शब्द) - ०६:४८, १५ जून २०२०
- ...मापन करता है। यह एक सदिश मैग्नेटोमीटर है जो किसी बिन्दु पर मौजूद चुम्बकीय क्षेत्र के एक या सभी अंशों (कम्पोनेन्ट) की माप करता है। यह कुछ मिलीहर्ट्ज से लेकर स ==सिद्धान्त== ...३ KB (६४ शब्द) - ००:०५, ५ मार्च २०२०
- ==कार्य सिद्धान्त== ...में या नियन्त्रक (लिनियर रेगुलेटर) के रूप में कार्य करते समय बीजेटी ऐक्टिव क्षेत्र में ही कार्य करता है। ...४ KB (९८ शब्द) - १७:१०, २१ जुलाई २०२४
- {{संख्या सिद्धान्त}} [[श्रेणी:संख्या सिद्धान्त]] ...२ KB (३६ शब्द) - ११:१७, ५ जुलाई २०२३
- ...उपकरण|मापन यंत्र]] है जो किसी भी आकार के समतल द्विबिमीय (two-dimensional) क्षेत्र का [[क्षेत्रफल]] मापने के काम आता है। ...में गति उत्पन्न होती है। इस गति का समुचित रूप से उपयोग करते हुए सम्बन्धित क्षेत्र का क्षेत्रफल पढने योग्य रूप में प्राप्त हो जाता है। ...७ KB (२६१ शब्द) - १३:५७, २६ अगस्त २०२४
- [[श्रेणी:क्वांटम क्षेत्र सिद्धान्त]] [[श्रेणी:आव्यूह सिद्धान्त]] ...३ KB (६६ शब्द) - २०:३१, १६ नवम्बर २०१८
- ...सबसे सुन्दर' चीज है। जयदेव ने [[क्रमचय-संचय|सांयोजिकी]] (combinatorics) के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण कार्य किया है। ...२ KB (६८ शब्द) - २१:३५, २१ जुलाई २०२४
- [[गणित]] में [[सम्मिश्र विश्लेषण|सम्मिश्र विश्लेषण]] के क्षेत्र में '''कोशी-रीमान समीकरण''' (Cauchy–Riemann equations) दो आंशिक अवकल समीकरण ...814 में इन फलनों का उपयोग करके 'फलनों का सिद्धान्त' निर्मित किया। फलनों के सिद्धान्त पर रीमान का शोधपत्र 1851 में आया। ...३ KB (८७ शब्द) - १७:३३, २६ दिसम्बर २०२०
- ...कहते हैं। चुम्बकीय क्षेत्र, धारा के परिवर्तन का विरोध करता है जबकि विद्युत क्षेत्र, वोल्टता के परिवर्तन का। वैद्युत प्रतिघात की संकल्पना कई अर्थों में [[विद्य [[श्रेणी:वैद्युत सिद्धान्त]] ...३ KB (५६ शब्द) - ०६:५८, २ मार्च २०२०
- [[चित्र:Pascal's Barrel.png|300px|right|thumb|पास्कल का सिद्धान्त: जल-स्तम्भ के दबाव के कारण पीपे (barrel) का फटना। सन् १६४६ में पास्कल ने यह ...'पास्कल का नियम''' [[द्रवस्थैतिकी]] में [[दाब]] से सम्बन्धित एक महत्वपूर्ण सिद्धान्त है। इसे फ्रांसीसी गणितज्ञ [[ब्लेज पास्कल]] ने प्रतिपादित किया था। ...८ KB (१७४ शब्द) - ०८:३४, ११ अगस्त २०२३
- [[File:Riemann-Zeta-Func.png|right|thumb|300px|सम्मिश्र तल के आयताकार क्षेत्र में प्रस्तुत किया गया रीमान जीटा फलन <math>\zeta(z)</math>; यह प्रक्षेत्र र ...यापक [[#निरूपण|निरूपण]] नीचे दिया गया है। रीमान जीटा फलन [[विश्लेषी संख्या सिद्धान्त]] में मुख्य फलन के रूप में प्रयुक्त होता है और इसके अनुप्रयोग [[भौतिक शास्त ...७ KB (२०८ शब्द) - १९:४१, ३० अगस्त २०२०
- [[चित्र:Electromagnetism.svg|250px|right|thumb|विद्युत धारा, चुंबकीय क्षेत्र पैदा करती है।]] ...क्लर्क मैक्सवेल|जेम्स क्लार्क मैक्सवेल]] ने सन् १८६१ में इसे विद्युतगतिकीय सिद्धान्त से सिद्ध किया। वर्तमान में यह नियम [[मैक्सवेल के समीकरण|मैक्स्वेल के चार सम ...६ KB (२८२ शब्द) - १२:४५, १३ नवम्बर २०२२
- ...थी। हाल ही के वर्षों में प्रति-पदार्थ के परमाणु, विशिष्ट विद्युत-चुम्बकीय क्षेत्रों की उपस्थिति में प्रति-प्रोटॉनों व पोजीट्रॉनों के संकलन से बन चुके हैं।<re === कोटर सिद्धान्त === ...१५ KB (६१२ शब्द) - १०:०३, ९ अगस्त २०२४
- {{प्रमात्रा क्षेत्र सिद्धान्त}} ...क क्षेत्र]] की [[उत्तेजित अवस्था]] के रूप में काम में लिया जाता है अतः इसे क्षेत्र क्वांटा कहते हैं। ...१९ KB (१,०१६ शब्द) - ०५:१४, १४ मार्च २०२४
- *[[गॉस (इकाई)]], [[चुम्बकीय क्षेत्र]] ('''B''') की एक इकाई *[[:en:Gauss–Kuzmin–Wirsing constant]], [[संख्या सिद्धान्त]] में एक नियत ...८ KB (४०४ शब्द) - ०६:२५, १४ फ़रवरी २०२४
- ...न्सफार्मरों]], [[विद्युत जनित्र|विद्युत जनित्रों]] आदि की कार्यप्रणाली इसी सिद्धान्त पर आधारित है। इस नियम के अनुसार, ...ने सन् १८३१ में की, और [[जोसेफ हेनरी]] ने भी उसी वर्ष स्वतन्त्र रूप से इस सिद्धान्त की खोज की। ...८ KB (२६६ शब्द) - ०६:४२, २५ फ़रवरी २०२३
- ...्षेत्रों जैसे [[सम्मिश्र विश्लेषण]], [[प्रमात्रा क्षेत्र सिद्धान्त|क्वांटम क्षेत्र सिद्धांत]] और [[स्ट्रिंग सिद्धांत]] में होता है। ...४ KB (१८० शब्द) - ०२:४३, १४ फ़रवरी २०२१
- ...र्डर) के [[अवकल समीकरण|अवकल समीकरणों]] द्वारा निरूपित किया जाता है। अवस्था क्षेत्र मोडेल में दो समीकरण होते हैं - अवस्था समीकरण तथा आउटपुट समीकरण। आवृत्ति-क्षेत्र निरूपण की तुलना में अवस्था-समष्टि निरूपण के निम्नलिखित लाभ हैं- ...१२ KB (६०१ शब्द) - १७:३२, २२ जुलाई २०२४
- ...्तर के लिए इनका उपयोग होता है। बीजीय फलनों के गुणधर्मों का [[बीज-लेखन]] के क्षेत्र में में महत्वपूर्ण भूमिका होती है (विशेषतः सममित कुंजी कलन-पद्धति (symmetri ...४ KB (१०१ शब्द) - १५:५८, १४ जनवरी २०२१
- ...त्-चुम्बकीय प्रेरण|विद्युतचुम्बकीय प्रेरण]] (Electromagnetic Induction) के सिद्धान्त का प्रयोग करती है। [[विद्युत मोटर]], इसके विपरीत [[विद्युत शक्ति|विद्युत उर ...विशालकाय विद्युत् जनित्रों द्वारा ही हाता है, जो मूलत: फैराडे के 'चुंबकीय क्षेत्र में घूमते हुए चालक पर वेल्टता प्रेरण सिद्धांत पर आधारित है। ...२८ KB (२०७ शब्द) - १४:१२, १७ नवम्बर २०२३