सहसम्बन्ध

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बिन्दुओं (x, y) के अनेक समुच्चयों के लिये सहसम्बन्ध के कुछ उदाहरण

सांख्यिकी एवं प्रायिकता के सन्दर्भ में सहसम्बन्ध (Correlation) का दो सांख्यिकीय चरों के बीच सम्बन्ध का माप होता है। यह बताता है कि दो चर आपस में कितने सम्बन्धित हैं। यदि एक श्रेणी के चर-मूल्य में परिवर्तन होने पर दूसरी श्रेणी के चर-मूल्य में भी परिवर्तन होता है, तो ये दोनों समंक-श्रेणियाँ सह-सम्बन्धित कही जाती है। यह कारणता से भिन्न है।

सहसम्बन्ध गुणांक

दो चरों के परस्पर सम्बन्धों का सबसे अच्छा माप पियर्सन का सहसंबन्ध गुणांक (Pearson's correlation coefficient) होता है जिसे प्रायः सहसम्बन्ध गुणांक कहा जाता है। यह गुणांक दोनों चरों के सहप्रसरण को उनके मानक विचलनों के गुणनफल से भाग देने से प्राप्त होता है।

ρX,Y=corr(X,Y)=cov(X,Y)σXσY=E[(XμX)(YμY)]σXσY,

सहसम्बन्ध का मान +१ से कम और -१ से अधिक होता है। सहसम्बन्ध सममित होता है, अर्थात corr(X,Y) = corr(Y,X)। जब दोनों चरों में पूर्ण सीधा रैखिक सम्बन्ध (perfect direct (increasing) linear relationship) होता है तो सहसम्बन्ध का मान +१ होता है ; जब दोनों चरों में पूर्ण व्युत्क्रम रैखिक सम्बन्ध होता है तो सहसम्बन्ध का मान -१ होता है; अन्य स्थितियों में सहसम्बन्ध का मान -१ और +१ के बीच होता है। (ऊपर का चित्र देखें) जब सहसम्बन्ध का मान शून्य के निकट होता है तो इसका अर्थ यह है कि दोनों चरों में बहुत कम सम्बन्ध है।

इन्हें भी देखें

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