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- ...तर्क|निगमनात्मक तर्कणा]] की एक महत्वपूर्ण शाखा बनाता है जो [[प्राचीन यूनान|प्राचीन यूनानियों]] के साथ शुरू हुई थी। [[अरस्तु|अरस्तू]] जैसे प्राचीन यूनानियों ने चार प्राथमिक विशिष्ट प्रकार के निरूपाधिक प्रतिज्ञप्तियों की पह ...८ KB (१७५ शब्द) - ०२:४६, १४ अगस्त २०२३
- प्रमेय का नाम प्राचीन [[यूनान|यूनानी]] [[गणितज्ञ]] [[एपोलोनियस|अपोलोनियस]] के नाम पर रखा गया है। ...२ KB (४२ शब्द) - १५:३८, ३० जून २०२३
- ...रोप पहुँचा। इस क्रम में ज्या से अपभ्रंश होकर 'साइन' बन गया। भारत के अनेकों प्राचीन गणितज्ञों ने श्लोक के रूप में ज्या-सारणी प्रस्तुत की जिनमें [[आर्यभट]] (आर् ...३ KB (७४ शब्द) - २१:२४, २१ जुलाई २०२४
- प्राचीन काल से गणितज्ञों ने स्वर्णिमानुपात के गुणों का अध्ययन किया है। यह एक [[पंचभ ...४ KB (११४ शब्द) - ०५:३७, ६ जून २०२३
- ===भारत के प्राचीन गणितज्ञों द्वारा कृत डायोफैंटीय विश्लेषण=== अति प्राचीन काल से ही भारतीय गणितज्ञ <math>ax + by = c</math> प्रकार के समीकरणों का पूर ...१४ KB (३२३ शब्द) - ०३:२७, २६ मई २०२२
- ...य (०) उकेरा गया है<ref name="News18 हिंदी 2023 d140">{{cite web | title=इस प्राचीन मंदिर में मिलता है 'शून्य' का सबसे पहला अभिलेख, रिसर्च के लिए आते हैं बड़े ...्चित नहीं हो पाया है परन्तु निश्चित रूप से उसका काल [[आर्यभट]]्ट के काल से प्राचीन है, शून्य का प्रयोग किया गया है और उसके लिये उसमें संकेत भी निश्चित है। २०१ ...१२ KB (४७३ शब्द) - १२:०७, २६ जुलाई २०२४
- ...र्ड दर्ज है। इस रिकार्ड से जो 3400 ईसा पूर्व से पहले का है, पता चलता है कि प्राचीन काल में लोग बड़ी संख्याओं को लिखना जानते थे। बेशक संख्याओं की शुरूआत मिस्रव ...दौरान अपनी-अपनी संख्या-पद्धतियों का विकास किया होगा। बेबीलोन निवासियों की प्राचीन मिट्टी की प्रतिमाओं में संख्याएं खुदी मिलती हैं। ...१३ KB (१४८ शब्द) - १७:०८, १६ जून २०२४
- ...|mu}} </ref> (अपरकेस '''Μ''', लोअरकेस '''μ''' ; [[प्राचीन यूनानी भाषा|प्राचीन यूनानी]] {{IPA-el|mŷː|}} , {{भाषा-यूनानी|μι}} === प्राचीन यूनान === ...२१ KB (७१४ शब्द) - १५:३१, २३ जुलाई २०२४
- '''बौधायन''' [[भारत]] के प्राचीन गणितज्ञ और [[शुल्बसूत्र|शुल्ब सूत्र]] तथा [[श्रौतसूत्र]] के रचयिता थे। : यह कथन 'पाइथागोरस प्रमेय' का सबसे प्राचीन लिखित कथन है। ...१२ KB (२०७ शब्द) - १९:५८, १ फ़रवरी २०२५
- ...्बाई त्रिकोणमितीय दिग्भेद पर आधारित है, जो कि सितारों के बीच दूरी नापने का प्राचीन तरीका है। ...५ KB (१४५ शब्द) - १३:५०, २८ जनवरी २०२५
- प्राचीन भारत में कम से कम [[शुल्बसूत्र]] के समय से ही [[वर्ग]] एवं वर्गमूल के सैद्ध ...५ KB (२१२ शब्द) - १३:५१, २२ जुलाई २०२४
- ...की को [[विज्ञान]], [[अभियान्त्रिकी|अभियांत्रिकी]] और [[प्रौद्योगिकी]] सबसे प्राचीन विषयों में से एक और विशाल विषidupdt कुछ प्राचीन [[यूनानी दर्शन|यूनानी दार्शनिकों]] के अनुसार, जैसे [[अरस्तु]], अरस्तु भौतिक ...२० KB (३९३ शब्द) - १६:५३, ७ अप्रैल २०२३
- ...लीबनिज]] द्वारा किया गया था। हालाँकि, बाइनरी संख्याओं से जुड़ी प्रणालियाँ प्राचीन मिस्र, चीन और भारत सहित कई संस्कृतियों में पहले भी सामने आई हैं। लीबनिज़ वि प्राचीन मिस्र के शास्त्रियों ने अपने अंशों के लिए दो अलग-अलग प्रणालियों का उपयोग कि ...१९ KB (५७७ शब्द) - ०८:४२, २३ जून २०२३
- प्राचीन काल से ही वितत भिन्नों का उपयोग किया जा रहा है। ...७ KB (३१२ शब्द) - ०४:३९, २० अक्टूबर २०२४
- ...मीकरण|वर्ग समीकरणों]] (indeterminate quadratic equations) को हल करने की एक प्राचीन [[भारतीय गणित|भारतीय]] विधि है। इसके आविष्कार का श्रेय प्राय [[भास्कराचार्य ...७ KB (३६२ शब्द) - ०२:३९, २७ मई २०२२
- ...रे से स्वतंत्र, पहली बार एक ही समय के आसपास प्रकाशित) लेकिन इसके तत्व पहले प्राचीन मिस्र और बाद में ग्रीस, फिर चीन और मध्य पूर्व में दिखाई दिए। और बाद में मध् === प्राचीन पूर्ववर्ती === ...२२ KB (८७४ शब्द) - १०:२३, १३ नवम्बर २०२४
- चार पद का भी अंक यंत्र होता है। इसका आविष्कार भारत के प्राचीन गणितज्ञों ने किया था। [[खजुराहो]] के पार्श्वनाथ मंदिर में इसे खुदा हुआ पाया ...८ KB (१७० शब्द) - १२:०३, १५ जून २०२०
- वर्ग समीकरण के हल भिन्न-भिन्न तरीकों से प्राचीन काल से ही निकाले जाते रहे हैं। यूक्लिड ने वर्ग समीकरण के हल की ज्यामितीय पद ...८ KB (३३४ शब्द) - १५:०७, ३० दिसम्बर २०२४
- | [[प्राचीन मिस्र|मिस्री]] ...७ KB (३१६ शब्द) - १४:५०, २८ मार्च २०२४
- [[शुल्बसूत्र]]ों में '''बौधायन का शुल्बसूत्र''' सबसे प्राचीन माना जाता है। इन शुल्बसूत्रों का रचना समय १२०० से ८०० ईसा पूर्व माना गया है ...१० KB (२१७ शब्द) - ०५:४०, २९ जनवरी २०२५